न्यायपालिका से जनता का भरोसा जिस गति से टूट रहा है, जिस दिन अंतिम तौर पर भरोसा टूट ही जायेगा उस दिन कहां और क्या बचेगा ?

न्यायपालिका से जनता का भरोसा जिस गति से टूट रहा है, जिस दिन अंतिम तौर पर भरोसा टूट ही जायेगा उस दिन कहां और क्या बचेगा ?

शेख अंसार की कलम से..

अयोध्या के बाबरी मस्जिद – रामजन्म भूमि के विवाद का फैसला पांच जजों की संविधान पीठ ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एसए नज़ीर एवं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने लिखा था।

9 नवम्बर 2019 को बाबरी मस्जिद के खिलाफ फैसला लिखने के एक सप्ताह के भीतर ही 17 नवम्बर 2019 को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सेवानिवृत्त हो गये। जस्टिस रंजन गोगोई को 16 मार्च 2020 को भारत के दलित राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने भाजपा की ओर से राज्यसभा की शपथ दिलाई।

संविधान विरोधी निर्णय, जनमत के खिलाफ लिए गये फैसले की सज़ा और सत्ता से बचाने एवज़ में ही पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय ( International court of justice ) में बेहतरीन पदस्थापना दी जा रही है।आप सब जानते हैं 10 नवम्बर 2024 को पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ सेवानिवृत्त हुए है। सेवानिवृत्ति के बाद इन न्यायधीशों की सरकार के रहम – ओ – करम पर नियुक्तियां सेवाकाल में किये गये सेवा का सेवा शुल्क – खिदमत – ए – नज़राना होता है।

भूतपूर्व सीजेआई रंजन गोगोई एवं भूतपूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के न्यायिक कारनामे इतिहास में तो दर्ज हो ही गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में पदस्थ अभूतपूर्व जस्टिस शेखर कुमार यादव ने जुमलों की होड़ में एक नया ही जुमला उछाल दिया है। जस्टिस यादव कहते हैं देश बहुसंख्यक के अनुसार चलेगा। उन्हें कोई तो बताए हमारा देश लोकतांत्रिक है जहां जीवंत और सक्रिय अल्पमत के मौजूदगी में बहुमत से चलती है।

जस्टिस शेखर कुमार यादव के असंवैधानिक शब्दावली बहुसंख्यक पर फुर्सत से चर्चा करेंगे। फिलवक्त हम भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के साथ अपनी संवेदना और समर्थन के साथ है …!

Chhattisgarh Special