छत्तीसगढ़ । कृष्णा चंपालाल हिरवानी
प्रदेश कार्यसमिति सदस्य मछुआरा प्रकोष्ठ भाजपा ने जानकारी देते हुए बताया कि नीली अर्थव्यवस्था जिसे ब्ल्यू रेव्युलेशन भी कहा जाता है पर भी बजट में घोषणा की गई है. केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि नीली अर्थव्यवस्था 2.0 के लिए जलवायु संबंधी गतिविधियों समेत कई और बिन्दु ओं को ध्यान में रखते हुए कोस्टल एक्वाकल्चर और मैरीकल्चर के लिए एक योजना शुरू की जाएगी.
मछली पालन को लेकर अंतरिम बजट 2024-25 में कई बड़ी घोषणाएं की गई हैं. अच्छी और राहत देने वाली खबर ये है कि पीएम मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) को अभी जारी रखा जाएगा. इस योजना की मदद से ही 55 लाख रोजगार के अवसर निकाले जाएंगे. साथ ही बीते 10 साल में दोगुना हो चुके सीफूड एक्सपोर्ट को एक लाख करोड़ करने की बात कही गई है. योजना की मदद से ही पांच इंटीग्रेटेड एक्वापार्क बनाने का ऐलान भी इस बजट में किया गया है. मछली पालन से ही जुड़ी नीली अर्थव्यवस्था 2.0 योजना को नई जलवायु के हिसाब से दोबार शुरू किया जाएगा.
डेयरी की बात करें तो इस बड़े फूड सेक्टर के लिए किसानों को ध्यान में रखते हुए नई योजना बनाने की बात कही गई है. मत्स्य पालन क्षेत्र पर चर्चा करते हुए केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि यह हमारी सरकार थी जिसने मछुआरों की मदद के महत्व को समझते हुए *मत्स्य पालन के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की*. इसका रिजल्ट ये निकला कि आज इनलैंड फिशरी और जलीय कृषि उत्पादन दोगुना हो गया है.
मछली पालन विभाग को मिले 2584.50 करोड़ रुपये
मत्स्य पालन विभाग को अब तक का सबसे ज्यादा वार्षिक आवंटन 2584.50 करोड़ रुपये दिए गए हैं. बीते साल के मुकाबले ये 15 फीसद ज्यादा है. साल 2014-15 से 2023-24 तक इस विभाग को 3680.93 करोड़ रुपये की रकम बजट में दी गई है. देश में मछली पालन से जुड़ीं अलग-अलग योजनाओं के लिए 6378 करोड़ रुपये पहले ही जारी किए जा चुके हैं. फिशरीज सेक्टर में अब तक का सबसे ज्यादा 38572 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है. साल 2022-23 में 175.45 लाख टन के रिकॉर्ड मछली उत्पादन के साथ भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बन चुका है. विश्व के कुल उत्पादन की आठ फीसद मछली भारत में होती है. तीन देशों की तर्ज पर भारत में लागू होगी मछुआरा बीमा योजना, मंत्री ने की ये अपील देश के फिशरीज सेक्टर की ये हैं बड़ी कामयाबी इनलैंड यानि जमीन पर तालाब और नदी समेत दूसरे तरीके से किए जा रहे मछली उत्पादन में 114 फीसद का उछाल आया है. साल 2013-14 में इनलैंड मछली उत्पादन 61.36 लाख टन था, जो साल 2022-23 में 131.37 लाख टन पर पहुंच गया है.
झींगा एक्सपोर्ट साल 2013-14 में 19368 करोड़ रुपये का हुआ था. जबकि साल 2022-23 में 43135 करोड़ रुपये का हुआ है.
4906 करोड़ रुपये से फिशिंग हॉर्बर और 182 करोड़ रुपये से फिश लैंडिंग सेंटर बनाए गए हैं. कुल 7522 करोड़ रुपये फिशरीज एंड एक्वाक्च्र इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट पर खर्च किए गए हैं. आंध्रा प्रदेश का ये एक इलाका हर साल 10 हजार करोड़ का झींगा करता है एक्सपोर्ट,साल 2013-14 के बाद से भारत का सीफूड एक्सपोर्ट दोगुना हो गया है. 2013-14 में जहां सीफूड एक्सपोर्ट 30 हजार, 213 करोड़ रुपये था, वहीं यह वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान बढ़कर 64 हजार करोड़ रुपये हो गया है. विश्वस्तर पर कोराना और दूसरी महामारी के चलते बाजार में आई परेशानियों के बावजूद 111.73 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. आज भारतीय सीफूड दुनिया के 129 देशों में निर्यात किया जाता है
कृष्णा चंपालाल प्रदेश कार्यसमिति समिति सदस्य मछुआरा प्रकोष्ठ भाजपा ने छत्तीसगढ़ के परंपरागत मछुआ जातियो धीवर ,ढीमर, केवट, निषाद, मल्लाह ,मांझी, हो और देश के विकास में निर्माण में सहयोगी बने और मोदी जी के सपना को पूरा करें।