कला साहित्य अकादमी का त्रिआयामी कार्यक्रम संपन्न

कला साहित्य अकादमी का त्रिआयामी कार्यक्रम संपन्न

कविता पठन, कविता मंचन, और कहानी मंचन
कला साहित्य अकादमी का नवीन प्रयोग

विगत दिवस कला साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ द्वारा प्रतिमाह नाट्य प्रदर्शन कार्यक्रम के अंतर्गत साहित्य – रंगमंच मिश्रित कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में देश-विदेश के दर्शक उपस्थित थे। कार्यक्रम के संयोजक विभाष उपाध्याय ने प्रेक्षकों का स्वागत करते हुए मंच संचालन के लिए पी भानु जी राव को आमंत्रित किया।उन्होंने कला साहित्य अकादमी का परिचय देते हुए बताया कि पिछले 6 माह में 13 से अधिक सफल आयोजन किया जा चुके हैं।रंगमंच के निर्देशक एवं फिल्मकार गुलाम हैदर मंसूरी द्वारा स्वरचित दो कविताओं का पाठन किया गया।


प्रथम कविता थी मुझे चलने दो। एवं दूसरी कविता ज्योति सिंह कांड पर आधारित वैदेही थी। रायपुर से विशेष रूप से पधारी वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती नीलिमा मिश्रा ने अपनी कविता माटी की व्यथा का सजीव मंचन किया। उनकी कविता रामायण की माता सीता के ऊपर केंद्रित थी और अपने पर हुए व्यवहार से सीता माता उग्र रूप धारण कर लेती है। मंच पर कविता का पाठ करना और मंच पर कविता का नाट्य मंचन करना, इन दोनों ही विधाओं से दर्शन रूबरू हुए। तीसरा एवं अंतिम प्रदर्शन धूप का एक टुकड़ा थी इसके लेखक प्रसिद्ध साहित्यकार निर्मल वर्मा हैं। निर्देशन आंचल की उभरती हुई प्रतिभा सिग्मा उपाध्याय का था। सिग्मा की मां एवं अंचल की वरिष्ठतम अभिनेत्रीअनीता उपाध्याय ने अपने प्रभावशाली मंचन से सब का दिल जीत लिया। एक ऐसी महिला जिसे एक पति ने त्याग कर दिया था और दूसरा बिल्कुल ही निष्क्रिय और मौन था.। रोज बगीचे में जाती और अपनी व्यथा का बयां करती। बगीचे में एक व्यक्ति उसकी व्यथा सुना करता था। अखिलेश वर्मा ने उस व्यक्ति का जीवंत अभिनय किया। बिना कोई संवाद बोले, अपने हाव-भाव से दर्शकों को हर बार ताली बजाने पर मजबूर किया। मंच सज्जा प्रहलाद कामदे और संगीत विभाष उपाध्याय और प्रसाद अग्लावे ने संभाले। प्रकाश उपकरणों की व्यवस्था श्रवण कुमार ने की, और प्रकाश संचालन विजय शर्मा ने संभाला। USA से आई भावना उपाध्याय ने कहा कि ऐसे भावपूर्ण अभिनय अमेरिका में भी देखने नहीं मिलता। वरिष्ठ रंग कर्मियों शक्तिपद चक्रवर्ती, मणिमय मुखर्जी, डॉ सोनाली चक्रवर्ती, सुमिता पाटिल, डॉ मनोज खन्ना, सुरेश गोंडाले, नितेश केडिया और यश ओबेरॉय ने अपने-अपने विचार रखें। सभा में विशेष रूप से इकबाल ओबेरॉय और प्रदीप रिछारिया उपस्थित थे। नृत्य गुरु बबलू विश्वास ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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