देश में एक समान नागरिक सहिंता को लेकर विधि आयोग को सुझाव देने का आज आखिरी दिन है. अभी तक विधि आयोग को करीब 80 लाख रिस्पॉंस मिल चुके हैं. लॉ कमीशन का कहना है कि वह आने वाले दिनों में उन संगठनो से मुलाकात करेगा जिन संगठनों ने उसको विस्तृत और लिखित सुझाव दिए हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक विधि आयोग यूसीसी को लेकर कई महिला संगठनों और उन व्यक्तियों से भी मुलाकात करेगा जिन लोगों ने उसको बेहतरीन और तथ्यपरक सुझाव दिए हैं.
विधि आयोग ने कब मांगे थे सुझाव
केंद्रीय न्याय विभाग के अंतर्गत आने वाले विधि आयोग ने 14 जून 2023 को एक गजट नोटिफिकेशन जारी करके देश भर के लोगों से समान नागरिक सहिंता को लेकर उनके सुझाव मांगे थे. आयोग ने नोटिफिकेशन ने कहा था कि विधि और न्याय मंत्रालय ने 17 जून, 2016 को यूसीसी के लिए 22वें विधि आयोग का गठन किया था और अब उनको उसको लेकर सुझाव चाहिए.
विधि आयोग ने क्या सुझाव मांगे थे?
विधि आयोग ने अपने नोटिफिकेशन में लोगों से सवाल पूछा था कि क्या इस देश में समान नागरिक सहिंता की कोई जरूरत है या नहीं? अगर जरूरत है तो क्यों जरूरत है, और अगर जरूरत नहीं है तो क्यों जरूरत नहीं है? इन सुझावों को कोई भी भारतीय नागरिक, सामाजिक-धार्मिक संस्थाएं, राजनीतिक पार्टियां और अन्य वह हर व्यक्ति जो इस देश का नागरिक है लिखित रूप से विधि आयोग के सामने अपने सुझाव भेज सकता है.
क्या यूसीसी लागू कर सकती है सरकार?
जी हां, भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के अधीन यह बात कही गई है कि राज्य को यह अधिकार है कि वह देश के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक सहिंता बनाए और उसको लागू करने के लिए हर संभव प्रयास करे.
इससे पहले भी यूसीसी के खिलाफ देश के कई नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया था लेकिन उसने कहा था कि देश में कानून बनाए जाने का अधिकार देश की संसद के पास है और वह इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं.