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देश की राजधानी दिल्ली है, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था. एक समय ऐसा भी था जब राष्ट्रीय राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) थी. दिल्ली को राजधानी बनाने की नींव तब पड़ी जब 1905 में बंगाल का बंटवारा हुआ. बंटवारे के बाद देश में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत हुई. अंग्रेजों की नजर में विद्रोह के अलावा भी ऐसी कई वजह थीं कि दिल्ली को राजधानी बनाया जा सके.
उस दौर में भले ही देश राजधानी कलकत्ता थी, लेकिन अंग्रेजों में दिल्ली के प्रति खास लगाव था. अंग्रेज हमेशा से ही दिल्ली पर अपनी छाप छोड़ने के लिए बेताब थे. यही वजह रही कि उन्होंने यहां वायसराय हाउस और नेशनल वॉर जैसी इमारतें बनाईं जिन्हें राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के नाम से जाना जाता है.
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हर तरफ नाकाबंदी और विद्रोह पर गिरफ्तारी का आदेश
ब्रिटिश शासकों को यह लगता था कि देश में शासन करने के लिए कलकत्ता की जगह दिल्ली को राजधानी बनाया जाना चाहिए. बंगाल में विभाजन के बाद अंग्रेजों के खिलाफ शुरू हुए विद्रोह ने उन्हें यह कदम उठाने का मौका मिला. कलकत्ता के विद्रोह और दिल्ली में शासन की संभावनाओं को देखते हुए अंग्रेज महाराजा जॉर्ज पंचम ने देश की राजधानी को दिल्ली ले जाने का आदेश दिया.
इस घोषणा से पहले किंग जॉर्ज-V और क्वीन मैरी के लिए दिल्ली में दरबार सजाया गया. दिल्ली में विशेष सजावट की गई. दिल्ली को ऐसे सजाया गया मानों दिवाली हो. इस दिन को विशेष बनाने के लिए बिजली की खास व्यवस्था भी की गई थी. दिल्ली दरबार में देशभर के नामी-गिरामी राजे-रजवाड़े और राजघराने शामिल हुए. कलकत्ता का विरोध दिल्ली तक न पहुंचे इसके लिए लगातार गिरफ्तारियों की जा रही थीं. आयोजन में कोई खलल न पहुंचे इसलिए उस दिन छुट्टी घोषित कर दी गई थी. हर तरफ पुलिस की नाकाबंदी थी.
80 हजार लोगों के सामने घोषणा
ब्रिटेन के राजा किंग जॉर्ज-V क्वीन मैरी के साथ भारत पहुंचे. उन्होंने 12 दिसम्बर 1911 को दिल्ली को देश की राजधानी बनाने की घोषणा की. इस घोषणा से पूरा देश हैरान था. सुबह-सुबह 80 हजार लोगों की भीड़ के सामने उन्होंने कहा, मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि सरकार और उनके मंत्रियों की सलाह पर देश में बेहतर प्रशासन करने के लिए अहम कदम उठाया जा रहा है. ब्रिटेन की सरकार भारत की राजधानी कलकत्ता को दिल्ली स्थानांतरित करती है. इस घोषणा के बाद ही देश का इतिहास ही बदल गया.
…और वही हुआ तो दिल्ली के लिए कहा जाता था
दिल्ली के इतिहास को देखते हुए यहां के बारे में एक बात मशहूर थी. वो थी दिल्ली पर कोई लम्बे समय तक राज नहीं कर सकता. अंग्रेजों के मामले में भी ऐसा ही हुआ. दिल्ली को राजधानी घोषित करने के 36 सालों के बाद उनके राज का अंत हुआ. उन्हें भारत छोड़कर जाना पड़ा. 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया.