भारत में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और उन्नत प्रौद्योगिकियों का विकास तेजी से हो रहा है, लेकिन साइबर विशेषज्ञों ने विरोधी पड़ोसियों और हैकरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए डाटा की सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की है। भारत में पिछले कुछ माह में दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में करीब दोगुने साइबर हमले हुए।
स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञों ने जोर देते हुए कहा कि भारत को डाटा की सुरक्षा के लिए और प्रभावी कदम उठाने ही होंगे। 17-19 अक्तूबर तक आयोजित सिंगापुर साइबर वीक-2023 में विशेषज्ञों ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकीविदों और व्यावसायिक अधिकारियों को तकनीक-संचालित खतरों से निपटने के लिए मिलकर काम करना होगा और एक व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना होगा।
तीन क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित
भारत में पिछले छह महीनों में हर हफ्ते साइबर हमलों में तीन सेक्टर सबसे अधिक प्रभावित थे। इसमें स्वास्थ्य-सेवा, शिक्षा-अनुसंधान और यूटैलिटी शामिल हैं। चेक प्वाइंट की थ्रेट इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 6 माह में भारत में प्रत्येक सेक्टर पर प्रति सप्ताह औसतन 2,157 बार साइबर हमले हुए, जबकि वैश्विक स्तर पर प्रति संगठन 1,139 बार हमले हुए। विशेषज्ञों ने कहा कि खुदरा, हॉस्पिटैलिटी, विनिर्माण और परिवहन क्षेत्रों को भी साइबर सुरक्षा पर तेजी से आगे बढ़ना होगा।
मिलकर काम करने की जरूरत
चेक पाॅइंट सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजीज में एपीएसी के मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी विवेक गुल्लापल्ली कहते हैं, साइबर सुरक्षा बहुत जटिल होती जा रही है। विशेष रूप से आज जिस तेजी के साइबर हमलों के तरीके बदल रहे हैं, जिसे समझना भी कई मायनों में बेहद कठिन हो जाता है। इसके लिए समग्र रूप से काम करने की जरूरत है।
और सुधार की गुंजाइश
अगस्त में सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम, 2023 पारित किया, जो डाटा संरक्षण के प्रति भारत की चिंताओं को चिह्नित करता है। एनटीटी लि. में साइबर सुरक्षा प्रमुख आशीष थापर कहते हैं कि इससे बहु-राष्ट्रीय निगमों (एमएनसी) के बीच अधिक आत्मविश्वास पैदा हुआ है। बाजार और नियामकों से प्रेरित होकर बैंकों ने भी सभी प्रणालियों की सुरक्षा में अच्छा काम किया है, लेकिन अभी और सुधार की गुंजाइश है।