संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि रूस के साथ हुए समझौते के ख़त्म होने का उन्हें “बहुत अफ़सोस” है जिसके तहत यूक्रेन से काला सागर के रास्ते अनाज भेजा जा सकता था.
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय से जारी बयान में उन्होंने कहा, “रूस का आज का निर्णय जरूरतमंद लोगों के लिए एक झटका होगा. करोड़ों लोग भूख का सामना कर रहे हैं और उपभोक्ता बढ़ते दामों से परेशान हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.”
उन्होंने कहा कि एग्रीमेंट के निलंबन का मतलब है कि रूस के अनाज और उर्वरक निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए किया गया इससे जुड़ा एक और समझौता भी समाप्त हो गया है.
उन्होंने कहा, “हमारा मुख्य ध्यान वैश्विक खाद्य सुरक्षा और वैश्विक खाद्य मूल्य स्थिरता को आगे बढ़ाने पर होगा.”
वहीं यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने इसे “पूरी तरह से अनुचित” बताया है और उन्होंने रूस पर “लोगों की भूख को हथियार बनाने” का आरोप लगाया है.
इससे पहले रूस के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने जानकारी दी कि यूक्रेन को काला सागर के रास्ते अनाज भेजने की अनुमति देने वाला समझौतेे को एक्सटेंशन नहीं दी जाएगी.
संयुक्त राष्ट्र, तुर्की और रूस इस्तांबुल में एग्रीमेंट पर बातचीत कर रहे थे लेकिन उनकी शर्तें पूरी नहीं की गई हैं.
यह डील पिछले साल संयुक्त राष्ट्र और तुर्की द्वारा वैश्विक खाद्य सुरक्षा की सुरक्षा के लिए की गई थी क्योंकि यूक्रेन दुनिया के प्रमुख अनाज उत्पादकों में से एक है.
यूक्रेनी शिपमेंट की अनुमति के बदले में, रूसी अपने अनाज और उर्वरक के लिए अधिक अंतरराष्ट्रीय ग्राहक चाहता है. साथ ही उनके भुगतान के लिए अधिक मदद चाहता था.
शनिवार को, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस के अपने खाद्य निर्यात और अन्य प्रमुख प्रावधानों में बाधाओं को दूर करने की प्रतिबद्धताएं पूरी नहीं हुई हैं.
डील ख़त्म होने से पहले आखिरी जहाज ओडेशा के पोर्ट से कल निकला था.
पिछले एक साल में यूक्रेन तीन करोड़ टन गेहूं का निर्यात करने कर पाया था. यूक्रेन दुनिया का सबसे बड़ा अनाज उत्पादक है. यहां से आने वाला अनाज दुनिया की फ़ूड सिक्युरिटी के लिए अहम है.