सियासी गलियारों में बवाल, शराबबंदी को लेकर भाजपा कांग्रेस आमने सामने

सियासी गलियारों में बवाल, शराबबंदी को लेकर भाजपा कांग्रेस आमने सामने

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को अब महज 6 महीने ही रह गए हैं, जिसके चलते सियासी गलियारों में बवाल मचा हुआ है। अलग-अलग मुद्दों को लेकर लगातार भाजपा-कांग्रेस आमने सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में एक बार फिर शराबबंदी को लेकर भाजपा कांग्रेस आमने सामने आ गए हैं। इस मुद्दे को लेकर शराबबंदी के लिए बनाई कमेटी के अध्यक्ष सत्यनारायण शुक्ला ने भी बड़ा बयान दिया है। वहीं, अब इस मुद्दे को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने सरकार को आड़े हाथों लिया है।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सीएम कह रहे हैं लोग सैनिटाइजर पीकर मर रहे हैं, ऐसे में मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं शराबबंदी कर दूं। लेकिन असली मसला ये नहीं है। शराब की वजह से ही शराब घोटाला कर पा रहे हैं इसलिए शराबंदी नहीं कर रहे हैं। इस तरह के बहाने बना रहे हैं।

वहीं, शराबबंदी को लेकर बनाई गई राजनीतिक कमेटी के अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा ने प्रदेश में शराबबंदी को जरूरी बताया है। उनके इस बयान पर अरुण साव ने कहा कि यह सरकार का मुद्दा नहीं है जनता का मुद्दा है, आपकी सरकार है आप उस कमेटी के चेयरमैन हैं। सरकार ने जो वादा किया था उस पर आपको अमल करना चाहिए। जब आप मानते हैं कि शराबबंदी जरूरी है, तो सरकार को शराबबंदी की सलाह देना चाहिए और दबाव बनाना चाहिए। लेकिन आप और मुख्यमंत्री दोनों अलग-अलग बातें कर रहे हैं।

इससे पहले सीएम भूपेश बघेल ने एक कार्यक्रम के दौरान सभा को संबोधित करते हुए कहा ​कि साल 2018 में महिलाओं का दवाब था कि प्रदेश मे शराबबंदी हो। उनकी सभा में थे, हमने भी घोषणा कर दी। इसके अलावा भेंट मुलाकात में भी शराबबंदी की मांग होती है। सीएम भूपेश ने कहा कि इसके लिए केवल सरकार सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। सीएम होने के नाते आज ही सब शराब दुकान बंद करा सकते है लेकिन क्या ये समस्या का समाधान होगा?

उन्होंने कहा कि महीनों के लॉकडाउन में लोग शराब का इंतजाम कर ले रहे थे। कुछ नहीं मिला तो सेनेटाइजर पी गए। इसके बाद मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं शराबबंदी की घोषणा कर दूं। नशेड़ी जिंदा है तो सुधार की उम्मीद है, मर जाए तो कोई विकल्प नहीं है। सीएम भूपेश ने कहा कि महिलाएं शराबबंदी पर दोनों हाथ उठाती है और गुड़ाखू पर चुप हो जाती है। बाल या युवा अवस्था में नशे की शुरुआत होती है। आगे जीवन की कड़वाहट उसे और बढ़ाती है। नशा मुक्त अभियान का मैं स्वागत करता हूं। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी के अभियान को सरकार पूरा सहयोग देगी। नशा मुक्त समाज होना ही चाहिए।

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