विष्णुदेव साय :सीएम की कुर्सी तक पहुंचे आदिवासी नेता, अमित शाह ने चुनाव में किया था वादा, ‘बनाऊंगा बड़ा आदमी’

विष्णुदेव साय :सीएम की कुर्सी तक पहुंचे आदिवासी नेता, अमित शाह ने चुनाव में किया था वादा, ‘बनाऊंगा बड़ा आदमी’

आखिरकार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बन गए, लेकिन ये फैसला इतना आसान नहीं था। मुख्यमंत्री की दौड़ में डॉ. रमन सिंह, केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह, रामविचार नेताम, गोमती साय और प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव भी थे। पार्टी ने आदिवासी समाज से पहली बार मुख्यमंत्री चुना। मुख्यमंत्री की स्क्रिप्ट लिखने में अमित शाह की अहम भूमिका थी।

छत्तीसगढ़ में भाजपा ने मुख्यमंत्री पद के लिए आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को नाम तय किया है.

रविवार को विधायक दल की बैठक के बाद उनके नाम की औपचारिक घोषणा की गई.

अब तक चार बार के विधायक, तीन बार के सांसद और छत्तीसगढ़ में भाजपा के अध्यक्ष की कमान संभालने वाले विष्णुदेव साय केंद्र सरकार में राज्य मंत्री भी रह चुके हैं.

26 साल की उम्र में ही पहली बार विधायक बनने वाले के दादा और दो ताऊ भी, विधायक-सांसद रह चुके हैं.

रमन सिंह के करीबी हैं विष्णुदेव
एक दिन पहले उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा-“विनम्रता को कमज़ोरी नहीं मानना चाहिए. मैं तो इसे अपनी ताक़त मानता हूं और मेरी कोशिश रहेगी कि आजीवन विनम्र बना रहूं.”

उनके चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक तौर पर घोषणा की थी कि आप इन्हें विधायक बनाइए, इन्हें बड़ा आदमी मैं बनाऊंगा.

32 फ़ीसद आदिवासी जनसंख्या वाले छत्तीसगढ़ की विधानसभा में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 17 पर भाजपा के कब्ज़े के बाद माना जा रहा था कि किसी आदिवासी विधायक को भाजपा मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री बना सकती है.

जिस सरगुजा संभाग से विष्णुदेव साय जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं, उस संभाग की सभी 14 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीत कर आए हैं. उसके बाद से ही विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा शुरू हो गई थी.

माना जा रहा था कि 15 सालों तक मुख्यमंत्री की कमान संभालने वाले डॉक्टर रमन सिंह को अगर मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो उनकी जगह विष्णुदेव साय को राज्य की कमान सौंपी जा सकती है.

हालांकि उनके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले बीजेपी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह, आईएएस से विधायक बने ओपी चौधरी और राज्य के पूर्व गृह मंत्री रामविचार नेताम के नाम की भी चर्चा थी. लेकिन अंततः पार्टी ने विष्णुदेव साय के नाम पर मुहर लगाई.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाने का लाभ पड़ोसी राज्य झारखंड और ओडिशा में भी बीजेपी को मिल सकता है.

कौन हैं विष्णुदेव साय

21 फरवरी 1964 को एक आदिवासी परिवार में जन्में विष्णुदेव साय ने अपनी 10वीं तक की पढ़ाई कुनकुरी के लोयला हायर सेकेंडरी स्कूल से की है.

उनके दिवंगत दादा बुधनाथ साय 1947 से 1952 तक विधायक रह चुके हैं. उनके दिवंगत ताऊ नरहरि प्रसाद साय भी दो बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं.

एक और ताऊ केदारनाथ साय भी विधायक रह चुके हैं.

राजनीतिक माहौल में पले-बढ़े विष्णुदेव साय 1989 में जशपुर ज़िले के बगिया गांव में पहली बार पंच चुने गये. इसके बाद अगले ही साल उनकी पंचायत का सरपंच चुना गया था.

उसी साल भाजपा ने उन्हें तपकरा विधानसभा से अपना प्रत्याशी बनाया और अविभाजित मध्यप्रदेश में 1990 में वे पहली बार विधानसभा पहुंचे.

1998 में उन्हें बीजेपी ने फिर अपना प्रत्याशी बनाया और विष्णुदेव साय ने फिर से जीत हासिल की.

एक साल बाद 1999 में उन्होंने रायगढ़ लोकसभा से चुनाव लड़ा और वे सांसद निर्वाचित हुए. 1999 से 2014 तक वे लगातार सांसद चुने गये. 2014 में उन्हें मोदी सरकार में पहली बार केंद्रीय इस्पात, खान, श्रम व रोजगार राज्य मंत्री की कमान सौंपी गई.
इस दौरान उन्हें छत्तीसगढ़ बीजेपी का अध्यक्ष भी बनाया गया

बधाई का सिलसिला शुरू

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मां जशमनी देवी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “आज मैं बहुत खुश हूं. आज मेरे बेटे को छत्तीसगढ़ की सेवा करने का पूरा मौका मिला है. इससे अच्छा और क्या हो सकता है.”

छत्तीसगढ़ सीएम की रेस में रेणुका चौधरी का नाम भी चल रहा था. विष्णुदेव साय को सीएम बनाए जाने के बाद उन्होंने मिडिया से बात करते हुए कहा, “जब से चुनाव के नतीजे आए तब से मीडिया में कई नाम चल रहे थे. सब संभावित नाम थे. आज राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व ने मानवीय विष्णु जी को विधायक दल का नेता चुना है. हमारे प्रदेश की अब वो बागडोर संभालेंगे.”

“मुझे इस बात की खुशी है कि सरगुजा संभाग से और छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार आदिवासी समुदाय के किसान परिवार के साधारण से कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री चुना गया है.”

आपको बड़ा पद मिलने की खबरें थी, इस सवाल के जवाब में रेणुका सिंह ने कहा, “मैं शुरू से ही इस बात को बोलती रही हूं कि संगठन का जब-जब जो आदेश होता है, हम लोग उसे स्वीकार करते हैं. संगठन जो भी निर्देश देगी मैं उसका पालन करूंगी.

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