दुनिया के हर इस्लामी देश में एक वक़्फ़ होता है. हालांकि यह ज़रूरी नहीं है कि इसे वक़्फ़ ही कहा जाए. इसे औक़ाफ़, फ़ाउंडेशन, एंडोमेंट सहित कई अन्य नामों से भी जाना जाता है.
तुर्की में फ़ाउंडेशन का एक महानिदेशालय है. यह 1924 से इस्लामी क़ानून के अनुसार वक़्फ़ का प्रबंधन और ऑडिट करता है. यह ओटोमन साम्राज्य के समय से आज तक काम कर रहा है.
मिस्र में औक़ाफ़ मंत्रालय है. यह ट्रस्ट के क़ानून जैसा है. इसमें ट्रस्टी मस्जिद होती है. यह ज़मीन, बाज़ार और अस्पताल सहित अन्य संपत्तियों का प्रबंधन करती है.
मुहम्मद अली (1805-1848) के शासन के दौरान औकाफ़ का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था.
इसी तरह से सूडान, सीरिया, जॉर्डन, ट्यूनीशिया और इराक़ जैसे देशों में वक़्फ़ विभाग धार्मिक मामलों के मंत्रालय के तहत काम करते हैं.
दरअसल इराक़ में सुन्नी बंदोबस्ती कार्यालय, शिया बंदोबस्ती कार्यालय और गैर-मुस्लिम समुदायों का बंदोबस्ती कार्यालय है.
वहीं सऊदी अरब, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश, मलेशिया, इंडोनेशिया जैसे कई अन्य इस्लामी देशों में धार्मिक मामलों के मंत्रालय के तहत बंदोबस्ती विभाग (जैसे इस्लामी धार्मिक बंदोबस्ती, यरुशलम) या वक़्फ़ हैं.
केरल विश्वविद्यालय में इस्लाम का इतिहास पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर असरफ़ कडक्कल ने मिडिया को बताया, “अधिकांश इस्लामी देशों में एक औक़ाफ़ मंत्रालय होता है जो वक़्फ़ को देखता है. उनके विभागों में उलेमा जैसे न्यायविद या धार्मिक विद्वान होते हैं. यह सभी इस्लामी न्यायशास्त्र का पालन करते हैं. हमारे देश में यह व्यवस्था अलग है क्योंकि यह मुस्लिम देश नहीं है.”
जामिया मिल्लिया में इस्लामिक स्टडीज के एमेरिटस प्रोफ़ेसर अख़्तरुल वासे ने मिडिया बताया, “इस्लामी देशों में वक़्फ़ होते हैं जो हमारे वक़्फ़ या बंदोबस्ती विभागों की तरह ही होते हैं.”
वह बताते हैं, “वक़्फ़ की शुरुआत बहर-ए-मुल्ला में हुई थी. यह एक दान था जिसे पैग़म्बर मोहम्मद सहाब स. के चचेरे भाई और साथी हज़रत उस्मान इब्न अफ़्फ़ान ने बनाया था.”
वासे ने कहा कि वक़्फ़ की अवधारणा तब सामने आई जब ख़लीफ़ा उस्मान को एहसास हुआ कि रेगिस्तानी क्षेत्र में पानी की कमी के कारण मदीना के पास एक व्यक्ति पानी बेच रहा था.
उन्होंने कहा, “इसके कारण उन्होंने अल्लाह के नाम पर पानी की सुविधा ख़रीदी ताकि ऊंटों के लिए पानी मुफ़्त में उपलब्ध हो सके. 1400 साल बाद भी यह वक़्फ़ मौजूद है.”