एसडीएम के नेतृत्व में बनाई गई नौ सदस्यीय जांच टीम द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कई शासकीय संपत्तियों को निजी संपत्ति के रूप में दर्शाया गया है, लेकिन इन जमीन के निजी घोषित होने का कोई ठोस कारण पेश रिपोर्ट में नहीं बताया गया है।
बिलासपुर। सरकारी जमीन को अपने नाम चढ़वाकर भूमाफिया ने शासन को करोडों की चपत लगा दी। यह खेल यही खत्म नहीं हुआ, सरकारी जमीन का सौदा कई बार हुआ और हर बार नामांतरण भी आसानी से बिनी किसी जांच के हो गई। शासकीय जमीन की खरीदी बिक्री की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद के निर्देश पर एसडीएम की नौ सदस्यीय टीम ने शासकीय और नजूल भूमि का मिसल बंदोबस्त एवं अधिकार अभिलेख में भौतिक सत्यापन किया। प्रस्तुत रिपोर्ट में सामने आया है कि कई जगहों पर शासकीय जमीन बिककर अब निजी संपत्ति में तब्दील हो गई हैं।
किन आदेशों के तहत यह स्थिति बनी, यह अब भी स्पष्ट नहीं है, जिसके चलते जिला प्रशासन ने दोबारा जांच कराने का निर्णय लिया है।
एसडीएम के नेतृत्व में बनाई गई नौ सदस्यीय जांच टीम द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कई शासकीय संपत्तियों को निजी संपत्ति के रूप में दर्शाया गया है, लेकिन इन जमीन के निजी घोषित होने का कोई ठोस कारण पेश रिपोर्ट में नहीं बताया गया है। शासकीय जमीन को किन आधारों पर निजी जमीन घोषित किया गया, इसकी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए जांच रिपोर्ट फिर से तैयार की जा सकती है। अधिकारियों का कहना है कि कुछ भूमि संबंधी दस्तावेजों में अस्पष्टता के कारण कुछ सरकारी संपत्तियों पर निजी कब्जा घोषित कर दिया गया है। इससे सरकारी संपत्ति का नुकसान हो सकता है।
इसे कलेक्टर अवनीश शरण ने गंभीरता से लेते हुए एसडीएम पीयूष तिवारी की अध्यक्षता में जांच टीम बनाई थी। इस टीम ने बिलासपुर नगरीय क्षेत्र स्थित शासकीय भूमि एवं नजूल भूमि का मिशल बंदोबस्त एवं अधिकार अभिलेख से भौतिक सत्यापन कर वर्तमान अभिलेख की स्थिति एवं भूमि स्वामित्व के कारण सहित विवरण प्रस्तुत किया है। जांच दल ने अपने प्रभार क्षेत्र में सर्वेक्षण और भौतिक सत्यापन किया है।
राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं
जिले में भूमाफिया की सक्रियता से शासकीय जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाकर निजी जमीन घोषित कर नामांतरण किया गया है। अभी तक कुछ मामले सामने आए हैं जिसमें कलेक्टर ने पटवारियों पर निलंबन की कार्रवाई की अनुशंसा की है। जमीन नामांतरण व फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेचने में राजस्व अधिकारियों की लगातार भूमिका सामने आ रही हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है एसडीएम की पूरी रिपोर्ट पेश होने के बाद कई पटवारियों पर कार्रवाई की गाज गिरने वाली है।
सरकारी से निजी बनीं जमीनें
केस नं. 1, मोपका सरकंडा का भोंदूदास मामला अब भी सुर्खियों में है। जांच में यह पता लगाया जा रहा है कि यह जमीन किन कारणों से निजी लोगों के नाम पर चढ़ गई।
केस नं. 2, खमतराई स्थित 11 एकड़ जमीन के बिकने का एग्रीमेंट हो चुका था। हालांकि, इससे पहले ही प्रशासन को भनक लग गई और नगर निगम ने मामले में कार्रवाई करते हुए बुलडोजर चलवा दिया।
केस नं. 3, सकरी के ग्राम पोंड़ी की 80 एकड़ शासकीय भूमि को पटवारी के सहायक ने निजी लोगों के नाम पर चढ़ा दिया। शिकायत पर जांच के बाद कलेक्टर ने पटवारी को निलंबित करने की अनुशंसा की है।
केस नं. 4, ग्राम बसिया के सरपंच और उपसरपंच पर सरकारी जमीन को कब्जा कर बेचने का आरोप लगा है। बिलासपुर एसडीएम ने इस मामले में नोटिस जारी करने की अनुशंसा की है।