अजीत पवार के बाग़ी होने के बाद महाराष्ट्र में सियासी गतिविधियां तेज़ हो गई हैं.
अजीत पवार अपने चाचा शरद पवार का साथ छोड़कर रविवार को महाराष्ट्र सरकार में शामिल हुए हैं. अजीत ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. अजीत समेत एनसीपी के नौ विधायक भी एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हुए हैं.
इससे पहले भी एक बार अजीत पवार ने एनसीपी विधायकों के साथ मिलकर फडणवीस सरकार से हाथ मिलाया था. हालांकि ये साथ तब ज़्यादा दिन नहीं चल पाया था.
अब जब अजीत पवार एक बार फिर विपक्ष के पाले से सत्ता के पाले में पहुंच गए हैं तब पवार परिवार की एकता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.
परिवार में कोई दिक़्क़त नहीं है. हम परिवार में राजनीति पर बात नहीं करते हैं. हर कोई अपने फ़ैसले ख़ुद लेता है.”
शरद पवार सोमवार सुबह सतारा के लिए निकले हैं. वो बोले, ”मैंने अब तक किसी से कोई बात नहीं की है. न ही किसी से संपर्क किया है. मैं बस सतारा के लिए निकल रहा हूं.”
अजीत पवार समेत नौ विधायकों के सत्ता में बैठने पर शरद पवार ने कहा था, ”जिन लोगों को ज़िम्मेदारी सौंपी थी, उन्होंने ढंग से उसे नहीं निभाया. हम जनता के बीच जाएंगे. एनसीपी को फिर से खड़ा करेंगे.”
इससे पहले एनसीपी सांसद और अजीत पवार की बहन सुप्रिया सुले ने भी अपने भाई संग रिश्तों पर प्रतिक्रिया दी थी.
सुप्रिया सुले ने रविवार देर रात कहा था, ”जो हुआ वो काफ़ी तकलीफ़देह था. लेकिन इससे मेरे कज़न (चचेरे भाई) अजीत से मेरा रिश्ता पहले जैसा ही रहेगा.”
सुले ने कहा था, ”मैं पर्सनल और प्रोफ़ेशनल रिश्ते को मिक्स नहीं करूंगी. मैं अपने भाई से कभी नहीं लड़ सकती. इमोशनल और प्रोफेशनल काम दो अलग चीज़ें होती हैं.”