क्या आप जानते हैं Islam(इस्लाम) में अमानत की क्या अहमियत है और अमानत के बारे में Islam (इस्लाम) में क्या कहा गया है। आज के इस आर्टिकल में हम लोग जानेंगे इस्लाम (Islam)में अमानत के बारे में क्या कहा गया है
Islam (इस्लाम) में अमानत क्या हैं
अमानत कुरान और हदीस में
फलाह के लिए ये जरूरी कर लिया गया है के इंसान अमानत में कोई ख्यानत ना करे, बाल्की अमानत को ठीक-ठीक उसी के अहल तक पहुंचाये,
क़ुरआन-ए-करीम में अल्लाह तआला फरमाते है
إِنَّ اللَّهَ يَأْمُرُكُمْ أَن تُؤَدُّوا الْأَمَانَاتِ إِلَىٰ أَهْلِهَا (सूरह अन-निसा, वर्स 58)
यानि अल्लाह तआला हमें हुकम देते हैं के अमानतो को उनके मुस्तहिक लोगो तक पहूँचाओ।
आपस के लेन-देन के मामले में जो इखलाकी जौहर मरकजी हैसियत रखता है वह अमानत है. इस का मतलब यह है कि इंसान अपने कारोबार में ईमानदार हो और जो जिस का, जितना लिया हो, उस को पूरी इमानदारी से रत्ती-रत्ती दे दे. इसी को अरबी में अमानत कहते हैं।
ख़यानत को इस तरह बयान किया गया है कि अगर एक का हक़ दूसरे के ज़िम्मे वाजिब हो, उस के अदा करने में ईमानदारी न बरतें ख़यानत हैं। इस के अलावा अगर एक की चीज दूसरे के पास आमानत हो और वह उस में रद्दो-बदल करता है या मांगने पर वापस नहीं करता हो तो वह खुली हुई ख़यानत है।
कुरान-ए-करीम में अमानत के बारे में क्या कहा हैं
यही वो अमानत है जिसका ज़िक्र अल्लाह ताला ने सूरह अहज़ाब के आखिरी रुकू में फरमाया है।
إِنَّا عَرَضْنَا الْأَمَانَةَ عَلَى السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَالْجِبَالِ فَأَبَيْنَ أَن يَحْمِلْنَهَا وَأَشْفَقْنَ مِنْهَا وَحَمَلَهَا الْإِنسَانُ إِنَّهُ كَانَ ظَلُومًا جَهُولًا
(सूरह अल-अहज़ाब, आयत 72)
फरमाया के अमानत को हमने आसमान पर और जमीन पर और पहाड़ो पर पेश किया के ये अमानत तुम उठा लो, तो उन सब ने अमानत को उठान से इनकार किया। ये हमारे बस का काम नहीं है, और डरे।
वो अमानत क्या थी ?
वो अमानत ये थी उन से कहा गया के हम तुम्हे अकल देंगे और समझ देंगे, तुम्हे जिंदगी देंगे और ये अकल, समझ और जिंदगी तुम्हारे पास हमारी अमानत होगी, और हम तुम्हें बता देंगे। फला काम में जिंदगी को खर्च करना है, और फला काम में खर्च नहीं करना है।
अगर तुम जिंदगी को हमारे अहम के मुताबिक इस्तेमाल करोगे तो तुम्हारे लिए जन्नत होगी और अगर हमारे अहम के खिलाफ इस्तेमल करोगे तो तुम्हारे लिए जहन्नम होगी और हमेशा का आजाब होगा।