जिन घरों का चिराग बुझा है इसके लिए कौन जिम्मेदार है, ऐसे कब तक होता रहेगा ?

जिन घरों का चिराग बुझा है इसके लिए कौन जिम्मेदार है, ऐसे कब तक होता रहेगा ?

अतीत की दुर्घटनाओं से सबक न लेकर भविष्य को वर्तमान में ही मार डाला*

देश की राजधानी दिल्ली के पुराने राजेन्द्रनगर में संचालित राव आईएएस स्टडी सर्कल के बेसमेंट में पानी भरने के कारण एक छात्र एवं दो छात्राओं श्रेया यादव अम्बेडकर नगर यूपी, तान्या सोनी तेलंगाना, नेविन डालविन केरल से इन तीनों युवाओं की अकाल मौत हो गई ये हमारे देश के भविष्य थे, दिल्ली सरकार की लापरवाहीपूर्ण उदासीनता ने अतीत से सबक नही लिया, बड़ी बेरहमी से भविष्य को वर्तमान में ही मार डाला।

बारिश के मौसम ऐसा अक्सर भुगतान पड़ता है, कुछ घंटों के बारिश में शहरों में ट्रैफिक जाम, जलभराव, जमीन धसकने, बिजली के‌ करेंट लगने से लोगों की मौतें हो जाती है।

सेंटर फॉर साइंस एण्ड एनवायरमेंट ( सीएसई ) एक के शोध से पता चलता है, कि देश के 66 फीसदी शहरों में शहरी विकास के ढ़ोल एक बारिश में फट जाते हैं। हमारे राजनांदगांव में अम्बेडकर चौक से कलेक्ट्रेट के सामने से ठाकुर प्यारेलाल सिंह चौक तक ऐसे पानी भरा था मानो डबरी हो, जूनी हटरी, पुराना बस स्टैण्ड, कैलाशनगर मानो सरोवर लग रहा था, शहर का एकमात्र मोतीपुर – तुलसीपुर का भूतल सेतू से कैसे पार किया जाए सोचने को विवश करता है, नीचे पुल में पानी भरा है, उपर पुल से मोटी – मोटी अनगिनत गिरती धाराएं पूरी तरह भीगा देती है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते दस सालों के दौरान जलभराव – जमीन धंसकने के मरम्मत से आर्थिक राजधानी मुंबई 14 हजार करोड़, चेन्नई को 25 हजार करोड़, दिल्ली को 10 हजार करोड़, बेंगलुरु को 225 करोड़ और राजनांदगांव नगर निगम का – ? नुकसान उठाना पड़ा है। यह विशाल धनराशि देश के बेरोजगारों के बेरोजगारी के लिए व्यय किया जा सकता था।

तीन नवजवानों के मौत की सूक्ष्मता से जांच की जानी चाहिए। प्रथम दृष्टया दिल्ली के मेयर के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए।

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