छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में 15 अगस्त के कार्यक्रम में एसपी के हाथों कबूतर गिर कर मर जाना देश के मीडिया में सुर्खियों में रहा। दरअसल, चीफ गेस्ट और कलेक्टर का कबूतर उड़ गया मगर एसपी ने जैसे ही उसे उड़ाया, वह लूढ़ककर जमीन पर गिरा और दम तोड़ दिया। सोशल मीडिया में जब इस वायरल वीडियो पर मजाक बनना शुरू हुआ तो एसपी ने इसकी जांच के लिए कलेक्टर को पत्र लिखा और कलेक्टर ने भी आनन-फानन में जांच अधिकारी नियुक्त कर डाला। याने ब्यूरोक्रेसी का फुल जोक हुआ मुंगेली में। उधर, नौकरशाही के लोगों का कहना है कि कबूतर उड़ाना अब बैन कर दिया गया है। जाहिर है, रायपुर में न मुख्यमंत्री कबूतर उड़ाए और न ही राज्यपाल राजभवन में। फिर सवाल यह भी उठता है कि मुख्य अतिथि कबूतर उड़ाए या कौवा…. उन्हें राजनीति करनी है। साथ में खड़े कलेक्टर, एसपी को कबूतर उड़ाने का शौक क्यों पालना? 15 अगस्त और 26 जनवरी के समारोह में कलेक्टर, एसपी का काम असिस्ट करना होता है, न कि जो चीफ गेस्ट करें, वो करने लगें। जीएडी को इसके लिए गाइडलाइन जारी करनी चाहिए। ताकि, आगे अब इस तरह की मजाक न बनें।