बीजेपी ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में उम्मीदवारों की घोषणा इतनी जल्दी क्यों की?

बीजेपी ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में उम्मीदवारों की घोषणा इतनी जल्दी क्यों की?

भारतीय जनता पार्टी ने नवंबर और दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लगभग तीन महीने पहले ही गुरुवार को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अपने प्रत्याशियों की पहली सूची का एलान कर दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली में हुई पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इन उम्मीदवारों के नामों का फ़ैसला किया गया. यह बैठक बुधवार देर रात संपन्न हुई थी, जिसमें दोनों राज्यों के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे.

बीजेपी ने 230 सदस्यों की मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए 39 सीटों और 90 सदस्यों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए 21 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है. ये सभी वे सीटें हैं जो 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी हार गई थी.

चुनाव के पिछले रिकॉर्ड और पार्टी की ताक़त के आधार पर, ये सीटें ‘सी’ और ‘डी’ श्रेणी की हैं, जहां पार्टी या तो दो बार से अधिक हार गई है या वहां से कभी नहीं जीती है.

अभी तक इन दोनों राज्यों में चुनावों का एलान भी नहीं हुआ है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, कमज़ोर सीटों पर उम्मीदवारों का पहले से एलान करके बीजेपी अपने उम्मीदवारों को स्थानीय चुनौतियों से परिचित होने के लिए पर्याप्त समय देने की कोशिश कर रही है.

चाचा-भतीजा मुकाबला

बीजेपी की छत्तीसगढ़ की पहली सूची का मुख्य आकर्षण दुर्ग के मौजूदा सांसद और कांग्रेस के पूर्व नेता विजय बघेल को उनके चाचा और राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ख़िलाफ़ पाटन से मैदान में उतारा जाना रहा है.

ऐसा करके सीएम भूपेश बघेल को घेरने की कोशिश हो रही है. विजय बघेल ने 2008 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल को हराया था, लेकिन 2013 में वे उनसे हार गए थे.

विजय बघेल को 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने टिकट देने से इनकार कर दिया था. उस चुनाव में, भूपेश बघेल ने बीजेपी के मोतीलाल साहू को हराया था. हालांकि, विजय बघेल को 2019 के लोकसभा चुनाव में दुर्ग से टिकट दिया गया, जिसमें वे जीतने में कामयाब रहे.

छत्तीसगढ़ के लिए घोषित प्रत्याशियों में 10 अनुसूचित जनजाति (एसटी) और एक अनुसूचित जाति (एससी) के उम्मीदवार हैं. छह उम्मीदवार ओबीसी हैं और पांच महिलाएं हैं.

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