उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स में जनवरी, 2024 से छह देशों के जुड़ने से वैश्विक जीडीपी में समूह की हिस्सेदारी मौजूदा 26 फीसदी से बढ़कर 30 फीसदी हो जाएगी। साथ ही, समूह का वैश्विक आबादी में हिस्सा 46 फीसदी के स्तर पर पहुंच जाएगा।
एसबीआई रिसर्च के विश्लेषण के मुताबिक, पांच सदस्यीय ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन एवं दक्षिण अफ्रीका) से जुड़ने जा रहे 6 देशों अर्जेंटीना, इथियोपिया, मिस्र, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की समूह की जीडीपी में हिस्सेदारी सिर्फ 11 फीसदी होगी। इसमें भी सर्वाधिक 4 फीसदी हिस्सा सऊदी अरब का होगा। एक जनवरी, 2024 से प्रभावी हो रहे विस्तार की घोषणा ब्रिक्स की हाल में दक्षिण अफ्रीका में हुई बैठक में की गई।
मौजूदा देशों का घट जाएगा योगदान
विश्लेषण के मुताबिक, ब्रिक्स की जीडीपी में फिलहाल चीन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 70 फीसदी है, जो एक जनवरी, 2024 को घटकर 62 फीसदी के स्तर पर आ जाएगी। भारत की हिस्सेदारी मौजूदा 13 फीसदी से घटकर 12 फीसदी रह जाएगी। समूह की जीडीपी में रूस का हिस्सा आठ फीसदी से कम होकर सात फीसदी और दक्षिण अफ्रीका का दो फीसदी से घटकर एक फीसदी रह जाएगा। ब्राजील की मौजूदा हिस्सेदारी सात फीसदी है, जिसमें विस्तार के बाद भी कोई बदलाव नहीं होगा।
यूएई के साथ भारत का सर्वाधिक कारोबार
एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, नई जुड़ने वाली इन छह अर्थव्यवस्थाओं में वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान हुए द्विपक्षीय व्यापार में 6,81,259 करोड़ के साथ संयुक्त अरब अमीरात भारत का सबसे बड़ा कारोबारी भागीदार रहा है। सऊदी अरब 4,23,834 करोड़ रुपये के साथ भारत का दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी भागीदार रहा। इस मामले में मिस्र (48,792 करोड़ रुपये) तीसरे, अर्जेंटीना (39,100 करोड़) चौथे, ईरान (18,680 करोड़ रुपये) पांचवें और इथियोपिया (5,154 करोड़ रुपये) छठे स्थान पर रहा।
विस्तार के बाद भी भारत-चीन देंगे 74 फीसदी योगदान
विस्तार के बाद ब्रिक्स की जीडीपी में भले ही मौजूदा देशों का हिस्सा घट जाएगा। फिर भी, समूह की जीडीपी में भारत व चीन का संयुक्त योगदान सबसे अधिक 74 फीसदी होगा। वर्तमान में यह 83 फीसदी है।