शुक्रवार को शी जिनपिंग तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बने. कहा जा रहा है कि माओत्से तुंग के बाद उन्होंने देश के सबसे ताक़तवर नेता के रूप में ख़ुद को स्थापित किया है.
चीन की संसद, नेशनल पीपल्स कांग्रेस (एनपीसी) के लगभग 3,000 सदस्यों ने सर्वसम्मति से शी जिनपिंग को वोट दिया. 69 साल के शी जिनपिंग के सामने कोई और उम्मीदवार इस चुनाव में शामिल ही नहीं हुआ. चीन की इस संसद को राष्ट्रपति का रबर स्टांप कहा जाता है.
वोटिंग की प्रक्रिया एक घंटे तक चली और वोटों की गिनती 15 मिनट में पूरी कर ली गई.
शी जिनपिंग का ये चुनाव जीतना तब से ही तय था जब साल 2018 में चीन के संविधान में बदलाव करके राष्ट्रपति बनने की सीमा ख़त्म कर दी गई थी.
तभी ये मान लिया गया था कि शी के साल 2023 में तीसरी बार सत्ता में बने रहने के लिए ये बदलाव किया गया है.
सोमवार को शी जिनपिंग सालाना संसद सत्र में भाषण देंगे. चीन इन दिनों तीन साल तक चली कड़ी कोविड पॉलिसी के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहा है.
बीते सप्ताह शी जिनपिंग ने अमेरिका और पश्चिमी देशों को चीन के आर्थिक संकट का ज़िम्मेदार बताया था.
राष्ट्रपति चुनाव जीतना क़ाफी हद तक औपचारिकता है. शी जिनपिंग को केंद्रीय सैन्य आयोग की अध्यक्षता के लिए उनकी पार्टी ने पहले ही चुना है. वह चीनी सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ़ के रूप में अपना तीसरा का कार्यकाल पहले ही शुरू कर चुके हैं