ओवर कॉन्फिडेंस और वर्चस्व की लड़ाई में मारा गया संजू

ओवर कॉन्फिडेंस और वर्चस्व की लड़ाई में मारा गया संजू

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में कांग्रेस नेता संजू त्रिपाठी की दिनदहाड़े हुई हत्या में मुख्य आरोपी के रूप में उसके ही छोटे भाई कपिल त्रिपाठी का नाम सामने आ रहा है। इस घटना से जुड़े सबूत भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि कपिल ने ही सुपारी देकर अपने भाई की हत्याकांड को अंजाम दिया है। ऐसे में हर कोई के मन में एक ही सवाल है कि आखिर दो सगे भाइयों के बीच किस बात की रंजिश थी कि दोनों एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन गए।

संजू त्रिपाठी और कपिल त्रिपाठी से जुड़े लोगों से यह जानने की कोशिश की, कि आखिर दो भाइयों के बीच क्या सिर्फ संपत्ति को लेकर ही विवाद था या फिर कुछ और वजह थी, जिसके कारण दोनों में तकरार हुआ। संजू और कपिल को जानने वाले लोगों से पता चला है कि दोनों पहले एक साथ अपराध की दुनिया में कदम रखा। शुरुआत में हर एक आपराधिक गतिविधियों में दोनों भाइयों का नाम जुड़ा रहता था। जाहिर है कि गुंडागर्दी और मारपीट की वारदातों को दोनों भाई मिलकर ही अंजाम दिया करते थे। बिलासपुर के युवक को मध्यप्रदेश के अनूपपुर-शहडोल जिले में ले जाकर मारने और शव जला देने के मामले में दोनों भाइयों ने एक साथ जेल में सजा भी काटी।

अनूपपुर-शहडोल जेल से छूटकर आने के बाद संजू और कपिल त्रिपाठी का शहर में आतंक और बढ़ गया। रंगदारी, गुंडागर्दी कर जमीन खाली कराने और सूदखोरी जैसे काम दोनों भाई साथ मिलकर करते थे। दोनों शहर की विवादित जमीनों का सौदा कराते और लाखों रुपए की कमाई करने लगे थे।

संजू त्रिपाठी से शहर के कारोबारियों से भी व्यापारिक संबंध था। दरअसल, वह कारोबारियों को संरक्षण देने के नाम पर डील करता था और उनसे एग्रीमेंट करा लेता था। शहर के एक चर्चित मोबाइल कारोबारी से भी संजू त्रिपाठी के बीच लेनदेन को लेकर विवाद था। संजू के साथ मिलकर काम करते-करते उसका कारोबार बंद हो गया। लेकिन, उसकी आड़ में संजू ने लाखों की कमाई की। इसी दौरान उसका भाई कपिल त्रिपाठी भी अपना अलग डील करने लगा था। ऐसे में संजू को लगा कि वह उसके कारोबार में हस्तक्षेप कर रहा है और उसके वर्चस्व को कम करना चाहता है। यहीं से उनके बीच मनमुटाव शुरू हुआ और फिर दूरियां बढ़ने लगी।

समय बीतने के साथ ही दोनों भाई एक-दूसरे के दुश्मन बन गए। संजू और उसके पिता जयनारायण त्रिपाठी के बीच भी दुश्मनी थी। जयनारायण हमेशा कपिल का पक्ष लेता था। जबकि, संजू उसे कपिल से दूर रहने की धमकी देता था। संजू के आतंक के डर से ही जयनारायण त्रिपाठी अपनी दूसरी पत्नी के साथ दुर्ग में रहने लगा। वहीं, कपिल भी अपने भाई से अलग हो गया था। बावजूद इसके उनके कारोबार में हस्तक्षेप और वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। संजू अपने भाई कपिल की जमीन की डील में हस्तक्षेप करता था और उसे धमकाता था।

संजू की फरारी में 90 लाख में जमीन का हुआ था सौदा
बीते मई माह में जब संजू त्रिपाठी पर हत्या के प्रयास का केस दर्ज हुआ, तब उसे फरार होना पड़ा। इसी दौरान उसकी गैरमौजूदगी में कपिल त्रिपाठी ने उसलापुर की एक जमीन का 90 लाख रुपए में सौदा तय कर लिया। संजू के जमानत लेने या फिर केस के रफादफा होने से पहले ही कपिल इस सौदे को पूरा करने की हड़बड़ी में था, जिसमें वह कामयाब भी हो गया। इसमें उसने शहर के कई रसूखदारों को भी शामिल किया था। माना जा रहा है कि इसी कमाई के पैसों को कपिल ने शूटर बुलाने में खर्च किया है।

संजू त्रिपाठी का शहर में आतंक था, जिसके कारण लोग उसके जमीन संबंधी काम में हाथ डालने से कतराते थे। वह रंगदारी के साथ ही सूदखोरी, जमीन और हवाला का भी काम करता था। हवाला के इस काम के चलते ही उसकी शहर के बड़े व्यापारियों से संबंध थे। बताते हैं कि नोटबंदी के दौरान संजू ने अपने रसूख के दम पर शहर के बड़े कारोबारियों के करोड़ों रुपयों को दबा दिया था, जिसके कारण कारोबारियों ने उससे किनारा कर लिया था। पुलिस को शक है कि संजू की हत्या में कपिल के साथ ऐसे लोग भी शामिल हो सकते हैं।

शहर में गुंडागर्दी, रंगदारी और जमीन विवाद में पुलिस हमेशा सुर्खियों में रही है। जिस तरह से शहर में संजू और कपिल का आतंक बढ़ा है, उसमें पुलिस भी सहभागी रही है। दोनों भाइयों पर केस दर्ज होने के बाद भी पुलिस उन्हें संरक्षण देने में पीछे नहीं रही। सिविल लाइन थाने में संजू और कपिल के बीच हुए विवाद में पहले हत्या के प्रयास का केस दर्ज करने के लिए डील किया गया और फिर बाद में धारा 307 हटाने के लिए भी डील हुआ है। ऐसे अपराधियों की करतूतों को जानने के बाद भी पुलिस का शांत रहना और उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करना। पुलिस की भूमिका को उजागर करता है।

अपने पिता और भाई को घर बुलाकर उन पर जानलेवा हमला करने और केस में धारा 307 हट जाने के बाद से संजू ओवर कॉन्फिडेंस में आ गया था। संजू अपने घर के साथ ही पत्नी और बच्चों की सुरक्षा के लिए हमेशा बॉडी गार्ड साथ रखता था। इसके साथ ही वह खुद हमेशा 8-10 लोगों को लेकर चलता था। लेकिन, इस केस के बाद से वह अकेले घूमने लगा था। तखतपुर क्षेत्र के ग्राम सावांताल स्थित फार्म हाउस में वह पिछले तीन दिनों से अकेले आना-जाना करता था। उसके इसी ओवर कॉन्फिडेंस का हमलावरों ने फायदा उठाया और मौका पाकर उस पर फायरिंग कर उसकी हत्या कर दी।

कांग्रेस नेता और हिस्ट्रीशीटर संजू त्रिपाठी की हत्या में इस्तेमाल शूटर्स की कार और एक स्कॉर्पियो को पुलिस ने जब्त किया है। कपिल त्रिपाठी जिस स्कॉर्पियो से शहर से फरार हुआ था उसे भिलाई के डी मार्ट से लावारिस बरामद किया गया है। इधर, पुलिस की जांच में पता चला है कि कार का नंबर प्लेट बदला गया था। पुलिस की जांच में मृतक के भाई कपिल त्रिपाठी, उसके पिता जयनारायण त्रिपाठी पर सुपारी किलिंग का संदेह है। इसी आधार पर पुलिस ने कपिल की तलाश के लिए अलग-अलग जगहों के लिए तीन टीमें रवाना की है। वहीं, उसके पिता, पत्नी और साला से थाने में पूछताछ की जा रही है।

बताया जा रहा है कि कपिल त्रिपाठी ने पिछले दो दिन से एक स्कार्पियों किराए पर ले रखी थी, जिसमें बैठकर अमेरी के ही कुछ बदमाश युवक शहर में घूम रहे थे और संजू पर नजर भी रख रहे थे। फिर वही स्कॉर्पियो भिलाई में पुलिस को मिली है।

इस हत्याकांड की सुई हर तरफ से मृतक के भाई कपिल त्रिपाठी पर ही घूम रही है। कपिल को बिलासपुर से भिलाई पहुंचाने वाले तीन नाम सामने आए हैं, जिनमें केदार सिंह, रवि सिंह और संजीव निर्मलकर शामिल हैं। पुलिस केदार और रवि सिंह को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। लेकिन, अब तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा है।

गुरुवार को संजू त्रिपाठी के शव का सिम्स में पोस्टमॉर्टम किया गया। इससे पहले उसके शरीर से गोली निकालने के लिए एक्स-रे किया गया। एक्सरे के बाद उसके शरीर से चार गोलियां निकाली गई। एसएसपी पारुल माथुर ने बताया कि संजू के शरीर में 10 गोलियां दागी गई थी, जिसमें से चार गोलियां ही निकाली जा सकी। एक्सरे में पेट में 4 से 5 बुलेट, सीने में 3 से 4 बुलेट, कंधे में एक, सिर व जबड़े में 3 बुलेट दिखी हैं। लेकिन, डॉक्टर काफी प्रयास के बाद गोलियों को नहीं निकाल पाए। उन्होंने बताया कि बॉडी से 7.62 एमएम की बुलेट मिली है, जो पिस्टल से चलाई गई होंगी।

संजू त्रिपाठी हत्याकांड को सुलझाने के लिए एसएसपी पारुल माथुर ने 22 सदस्यीय टीम बनाई है। इस टीम में दो एएसपी, एक सीएसपी, सात थाना प्रभारी के साथ ही एसआई और आरक्षक शामिल हैं। इसमें एएसपी दीपमाला कश्यप के अलावा सीएसपी संदीप पटेल, टीआई हरविंदर सिंह, परिवेश तिवारी, पौरुष पुर्रे, फैजुल शाह, सागर पाठक, मनोज नायक, प्रसाद सिन्हा, एसआई अजय वारे, प्रभाकर तिवारी, एएसआई जीवन साहू सहित अन्य पुलिस स्टाफ शामिल हैं। जिन्हें अलग-अलग क्षेत्र में जांच का जिम्मा सौंपा गया है।

जिस तरीके से संजू पर दोनों तरफ से फायरिंग की गई और संजू की कार की बॉडी में बुलेट धंसी है। इससे स्पष्ट है कि पहली गोली ड्राइविंग सीट तरफ से कार की बॉडी में चलाई गई थी। वही बुलेट कार की बॉडी को चीरते हुए संजू के रीढ़ की हड्‌डी में धंसी थी। इसके बाद संजू बाएं तरह सिर किया, तब उसके सिर में तीन से चार फायरिंग की गई। कार में लगी बुलेट के निशान कार की ड्राइविंग सीट पर भी दिख रहा है।

Chhattisgarh