पठान के गाने को लेकर सोशल मीडिया पर चल रहे विवाद के बीच अभिनेता शाहरुख ख़ान ने कहा है कि सोशल मीडिया की नकरात्मकता से विभाजनकारी और विनाशकारी नैरेटिव तैयार हो रहा है.
उन्होंने कहा कि ऐसे दौर में सिनेमा की भूमिका अहम है. शाहरुख़ ने सिनेमा को इसका काउंटर नैरेटिव बताया.
कोलकाता फ़िल्म फ़ेस्टिवल में बोलते हुए शाहरुख ने कहा, “सिनेमा और अब सोशल मीडिया मानवीय अनुभव और भावनाओं को व्यक्त करने का सबसे बड़ा माध्यम बन गया है.”
“अब हमारे समय के सामूहिक नैरेटिव को सोशल मीडिया आकार दे रहा है. इस धारणा के विपरीत कि सोशल मीडिया सिनेमा को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा, मेरा मानना है कि सिनेमा को अब और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी.”
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया अक्सर विचारों की एक संकीर्णता से चलता है जो मानव स्वभाव को उसके नीचले स्तर तक सीमित रखता है.
शाहरुख़ ने कहा, “नकारात्मकता सोशल मीडिया की खपत को बढ़ाती है और इस तरह इसके व्यावसायिक मूल्य को भी.”
“इन वजहों से सामुहिक नैरेटिव को बल मिलता है, जो सोशल मीडिया को विभाजनकारी और विनाशकारी बनाती हैं.”
उन्होंने कहा, “सिनेमा सरल रूप में कहानियों को दिखाकर, मानव स्वभाव की कमज़ोरियों को उजागर करता है. यह हमें एक दूसरे को बेहतर तरीके से जानने का अवसर देता है. एक तरह से सिनेमा दर्शकों के कहीं बड़े समूह के साथ, एक काउंटर नैरेटिव को बनाए रखने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में है.”
शाहरुख ख़ान और दीपिका पादुकोण स्टारर फ़िल्म पठान का पहला गाना ‘बेशर्म रंग’ इंटरनेट पर वायरल हो गया लेकिन इसके साथ ही सोशल मीडिया पर फ़िल्म के बहिष्कार की मांग भी उठने लगी.
गाने में दीपिका पादुकोण और शाहरुख ख़ान के बीच केमिस्ट्री दिखाई गई है और एक जगह दीपिका ने भगवा रंग की बिकिनी पहनी है.
कुछ लोगों ने इस गाने को भद्दा और अश्लील बता दिया, तो कुछ ने इसे हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने वाला बताया है.
कई लोगों का कहना है कि दीपिका के कपड़ों का रंग भगवा है और जिस गाने का ये सीन है उसका नाम “बेशर्म रंग” है. भगवा रंग को अक्सर हिंदू धर्म से जोड़ा जाता है.