छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर राजिम में शिवरात्रि की धूम अलग ही नजर आ रही है। छत्तीसगढ़ का एक ऐसा मंदिर है जहां शिवलिंग की स्थापना स्वयं वनवास के वक्त माता सीता के द्वारा किए जाने की मान्यता है। माना है कि वनवास के दौरान भगवान राम राजिम पहुंचे थे और उसके बाद वह यहां से दंडकारण्य होते हुए आगे बढ़े।
सीता माता ने शिवलिंग बनाया था
धार्मिक मान्यता के मुताबिक नदी के किनारे भगवान राम को अपने कुलदेवता महादेव शिव की पूजा करनी थी। इसी के लिए सीता माता ने शिवलिंग बनाया था। जब उन्होंने शिवलिंग पर जल डाला तो उस पर पांच मुख बन गए। यह मुख आज भी शिवलिंग पर मौजूद है। करीब 12 साल पहले शिवलिंग के पास विशेष मंदिर का निर्माण किया गया।
50,000 से अधिक लोगों ने दर्शन किए
मंगलवार को शिवरात्रि के मौके पर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से बड़ी तादाद में लोग राजिम पहुंचे कुलेश्वर महादेव के दर्शन करने के लिए। सुबह 3:00 बजे से मंदिर के गेट खोल दिए गए थे। दोपहर तक यहां करीब लगभग 50,000 से अधिक लोगों ने दर्शन किए।
दूध दही शहद से अभिषेक
कुलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव का दूध दही शहद से विशेष अभिषेक किया गया। शिवरात्रि के मौके पर यहां मंदिर पर मौजूद पेड़ की टहनियों को भी खूबसूरत ढंग से सजाया गया है। मंदिर में पहुंचने वाले हजारों लोगों को पुजारी त्रिपुंड तिलक लगा रहे हैं और लोग भी शिव की भक्ति में लीन नजर आ रहे हैं।
1200 सालों से बाढ़ झेल रहा मंदिर
करीब 12 सौ साल पहले नदी के बीचो-बीच बना बना यह मंदिर लंबे वक्त से बारिश के वक्त बाढ़ का पानी झेलता है, मगर आज भी मजबूती के साथ आस्था का संगम लिए हुए टिका हुआ है। मंदिर का आकार 37.75 गुना 37.30 मीटर है। इसकी ऊंचाई 4.8 मीटर है। मंदिर का अधिष्ठान भाग तराशे हुए पत्थरों से बना है। रेत एवं चूने के गारे से चिनाई की गई है। इसके विशाल चबूतरे पर तीन तरफ से सीढ़ियां बनी हैं। इसी चबूतरे पर पीपल का एक विशाल पेड़ भी है। चबूतरा अष्टकोणीय होने के साथ ऊपर की ओर पतला होता गया है।
मंदिर निर्माण के लिए लगभग 2 किलोमीटर चौड़ी नदी में उस समय निर्माताओं ने ठोस चट्टानों का भूतल ढूंढ निकाला था। इसी पर मंदिर बना है। यहां लोग इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहते हैं।