सियासत : बलात्कार के आरोप पर सियासी प्रकोप….राजनीति का कीचड़ या कीचड़ में सन गई राजनीति…

सियासत : बलात्कार के आरोप पर सियासी प्रकोप….
राजनीति का कीचड़ या कीचड़ में सन गई राजनीति…

रायपुर। छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर सीट के उपचुनाव के दौरान भाजपा उम्मीदवार ब्रम्हानंद नेताम पर कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने बलात्कार के आरोप का खुलासा किया, इसके बाद से जो स्थिति सामने आई है, उससे सवाल खड़े हो रहे हैं कि छत्तीसगढ़ की राजनीति कीचड़ में सन गई है या राजनीति का कीचड़ मैदान में है? एक बात साफ है कि जब तक अदालत में दोष सिद्ध न हो जाये, तब तक किसी भी आरोपी को अपराधी ठहराने का हक किसी को नहीं है लेकिन राजनीति में इसे मानता कौन है?

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम से लेकर तमाम कांग्रेसी ब्रम्हानंद नेताम को बलात्कारी कह रहे हैं। कांग्रेस ने जैसे फैसला सुना दिया है कि ब्रम्हानंद बलात्कारी हैं। जबकि जब तक दोष सिद्ध न हो तब तक वे केवल आरोपी हैं।भाजपा मानती है कि संभावित हार को देखते हुए कांग्रेस यह दुष्प्रचार कर रही है।

भाजपा को कांग्रेस की बयानबाजी से सख्त ऐतराज है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम बार बार ब्रम्हानंद को बलात्कारी कह रहे हैं।

अब मरकाम का कहना है कि बलात्कारी के बचाव में भाजपा कानून का मखौल उड़ा रही है। जिस बलात्कारी के लिए सजा मांगनी चाहिए, उसके लिए भाजपा वोट मांग रही है।बलात्कारियों का बचाव भाजपा का चरित्र बन गया है। अब यह तो सभी जानते हैं कि किसी कानून में यह नहीं लिखा है कि आरोप लगने मात्र से कोई अपराधी हो जाता है फिर भाजपा कौन से कानून का मखौल उड़ा रही है? मरकाम ने तो ब्रम्हानंद को बाकायदा अपराधी घोषित कर दिया! वे कह रहे हैं कि सामूहिक बलात्कार के अपराधी भानुप्रतापपुर के भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम के बचाव में भाजपा कानून का मखौल उड़ा रही है।

झारखंड पुलिस ने अपराधी ब्रम्हानंद को नोटिस भेजकर कांकेर थाना बुलाया था लेकिन बेशर्मीपूर्वक भाजपा बलात्कारी के बचाव में प्रतिनिधिमंडल लेकर थाने गयी थी। जैसे ब्रम्हानंद ने मासूम बच्ची के साथ दुराचार कर कोई गुनाह नहीं किया है। ऊपर से भाजपाइयों की बेशर्मी भरा फरमान कि ब्रम्हानंद 8 दिसंबर के बाद पुलिस के समक्ष हाजिर होगा।

मरकाम कह रहे हैं कि एक ऐसी पार्टी जो केंद्र सरकार में बैठी है और बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा देती है, आज केवल एक विधानसभा उपचुनाव ने उस पार्टी के शराफत के चोले को निकाल फेंका है। भाजपा ब्रह्मानंद नेताम के बचाव में जितना ज्यादा खुलकर सामने आ रही है, उतनी ही ज्यादा जनता की नजरों में गिरती जा रही है।

इधर भाजपा पूछ रही है कि भूपेश बघेल को आदिवासियों से इतनी नफरत क्यों है? वे आदिवासी समाज से सब कुछ छीन लेने के बाद अब आदिवासी से उसका लोकतांत्रिक अधिकार भी छीन लेने का सुनियोजित षड्यंत्र कर रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय, विष्णुदेव साय, ननकीराम कंवर, रामविचार नेताम, विक्रम उसेंडी, मोहन मंडावी, केदार कश्यप, लता उसेंडी, विकास मरकाम का कहना है कि आदिवासी विरोध की जिद में भूपेश बघेल सरकार ने आदिवासियों का आरक्षण छिनवाया, आदिवासी आरक्षण के खिलाफ कोर्ट जाने वाले को इनाम दिया, आदिवासियों से शिक्षा छीनी, नौकरी छीनी और इससे भी उनकी भूख शांत नहीं हुई तो अब एक सीधे सीधे आदिवासी युवा को चुनाव लड़ने और जीतने से रोकने के लिए झारखंड सरकार के साथ मिलकर साजिश कर रहे हैं।

एक भ्रष्ट सरकार ने दूसरी भ्रष्ट सरकार को बचाने के लिए जो मेहमान नवाजी पिछले माहों में की थी, उसके एवज में अब भानुप्रतापपुर उपचुनाव के प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम के विरुद्ध साजिश को अंजाम दिया गया है। कांकेर में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने राजनीतिक षड्यंत्र के तहत पॉक्सो एक्ट का उल्लंघन करते हुए आदिवासी समाज के बेटे पर आरोप लगाया, परिस्थितिजन्य घटनाक्रम बता रहा है कि भानुप्रतापपुर में हार होती देख कांग्रेस लोकतंत्र की हत्या करा रही है। आदिवासी समाज का अपमान कर रही है। आदिवासी समाज इस अपमान को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।

यानी भाजपा की नजर में ब्रम्हानंद मासूम हैं। वे मासूम हो भी सकते हैं। नहीं भी हो सकते हैं लेकिन आरोप का फैसला कांग्रेस कैसे कर सकती है। भाजपा ब्रम्हानंद के समर्थन में है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। अपना बच्चा हर किसी को अच्छा लगता ही है। बहरहाल, इस उपचुनाव में इतना कीचड़ उछल चुका है कि कमल खिलेगा या खिलने से वंचित हो जाएगा, इसका अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है।

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