रायपुर। छत्तीसगढ़ में 76 फीसदी आरक्षण वाले विधेयक पर राजभवन और सरकार के बीच टकराव इतना बढ़ गया है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कह रहे हैं कि राजभवन का विधिक सलाहकार कौन है, यह विधिक सलाहकार एकात्म परिसर में बैठता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम कह रहे हैं कि भाजपा आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं होने दे रही। 3 जनवरी को राजधानी में जन अधिकार महारैली होगी। जिसमें 1 लाख से अधिक लोग एकत्रित होकर भाजपा को बेनकाब करेंगे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री आदिवासी समाज को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। 76 फीसदी आरक्षण के कोर्ट में फंसने की पूरी आशंका है। इसके लिए बिना वजह आदिवासियों के संरक्षक और राज्यपाल के खिलाफ स्तरहीन और अमर्यादित टिप्पणियां कर लोगों को उकसा रहे हैं।
भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर कह रहे हैं कि आरक्षण के मामले में कांग्रेस ढोंग कर रही है तो कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का जवाब है कि आरक्षण मामले में भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर क्या नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल का विरोध कर रहे हैं? मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर न होने पर कह रहे हैं कि यह मुख्यमंत्री का विधेयक नहीं है। यह विधानसभा का विधेयक है। सभी दलों के सदस्यों ने समर्थन किया है।
राज भवन से जो सवाल किए गए, उनके जवाब दिए गए। इसके बाद भी राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हो रहे हैं। विधिक सलाह की बात की जा रही है। यह विधिक सलाहकार एकात्म परिसर में बैठता है। भाजपा के एक भी नेता ने आरक्षण विधेयक पर दस्तखत करने राज्यपाल से नहीं कहा। भाजपा नेताओं के दबाव के चलते हस्ताक्षर नहीं किये जा रहे। कुल मिलाकर राज्यपाल को आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करना है तो वह विधेयक लौटा दें।
इस पर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर आरक्षण के मामले में कांग्रेस पर ढोंग करने का आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजभवन द्वारा पूछे गए 10 प्रश्नों के जवाब कांग्रेस ने नहीं दिए हैं जबकि मीडिया में मुख्यमंत्री तक झूठ बोल रहे हैं कि सवालों के जवाब दे दिए गए हैं। इससे साफ है कि कांग्रेस सरकार कुछ छुपा रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम कह रहे हैं कि भाजपा राजभवन की आड़ में राजनीति कर रही है। आरक्षण संशोधन विधेयक में विलंब भाजपा का साफ षडयंत्र लग रहा है। विधानसभा में पारित होने के बाद विधेयक राजभवन हस्ताक्षर होने गया है। वहां क्यों रुका है? किसके कहने पर रुका है? यह सभी जानते और समझते हैं।
राजभवन राजनीति का अखाड़ा नहीं बनना चाहिये। यदि लोगों के अधिकारों पर राजनीति होगी तो कांग्रेस चुप नहीं रहेगी। जनता को हकीकत बतायेंगे। भाजपा को बेनकाब करेंगे।
जबकि कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह का कहना है कि भाजपा राजभवन जाये और सरकार ने जो 10 सवालों का जवाब दिया है, उसे पढ़ ले। उनका कहना है कि सदन में आरक्षण विधेयक का समर्थन करने वाले नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल एवं अपने विधायकों पर भाजपा को क्या भरोसा नहीं है?
आरक्षण मामले में भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर क्या नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल का विरोध कर रहे हैं? सरकार विधेयक के मामले में राजभवन के सवालों का जवाब दे, ऐसी कोई नियमावली नहीं है। फिर भी सरकार ने राज्यपाल के सम्मान में 10 सवालों का जवाब दिया है। अब यदि राज्यपाल असंतुष्ट हैं। आरक्षण विधेयक में उन्हें किसी प्रकार की आपत्ति है तो उन्हें विधेयक को सरकार को लौटा देना चाहिए। उनका आरोप है कि भाजपा राजभवन को अपने राजनीतिक अखाड़े का प्लेटफार्म बनाकर दूषित राजनीति कर रही है। अब समस्या यह है कि राजनीति कर कौन रहा है? आरक्षण मामला लटकने पर सर्व आदिवासी समाज भी दोफाड़ दिख रहा है। एक धड़ा राजभवन पर भरोसा दिखा रहा है तो एक धड़ा कांग्रेस सरकार के मंत्रियों, विधायकों और मुख्यमंत्री के पिताजी की छत्रछाया में धरना प्रदर्शन कर रहा है। सत्ताधारी कांग्रेस भी नए साल की तीन तारीख को राजभवन को ताकत दिखाने तैयार है। क्या यह सरकार का प्रदर्शन है, जो राज्यपाल के विरुद्ध होने जा रहा है? यह विचित्र स्थिति है और यह अवरोध सकारात्मक दृष्टिकोण से ही दूर हो सकता है लेकिन जिस तरह से मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी राजभवन का एकात्म परिसर से कनेक्शन जोड़ रही है, उससे साफ है कि खींचतान अभी और बढ़ेगी।
आरक्षण बिल का हाल फिलहाल यह है कि आसमान से टपके और खजूर पर लटके..!