हरियाणा में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के परिणाम आ चुके हैं. इसके साथ ही राज्य भर में जिला परिषद और पंचायत समितियों के गठन की तैयारी शुरू हो गई है. वैसे तो यह छोटे छोटे चुनाव थे, लेकिन इसके संदेश काफी बड़े हो गए हैं. बल्कि इन चुनावों के परिणाम ने सभी राजनीतिक दलों को उनकी हैसियत बता दी है. आगामी विधानसभा चुनावों के लिए साफ कर दिया है कि अब तो जो काम करेगा, उसकी ही वापसी हो पाएगी. इस चुनाव में बीजेपी, आप, बसपा और इनेलो ने सिंबल पर प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन कांग्रेस और मौजूदा सरकार में सहयोगी जजपा बिना सिंबल के ही मैदान में उतरी थी.
21 महीने की देरी से हरियाणा में हुए पंचायत चुनावों के तहत जिला परिषद के 411 और पंचायत समितियों के 3081 सदस्यों के लिए तीन चरणों में चुनाव कराया गया था. रविवार को इसकी मतगणना हुई और दोनों ही संस्थाओं के लिए सदस्यों की घोषणा हो गई है. लेकिन इस चुनाव में राज्य के मतदाताओं ने साफ कर दिया है कि चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस, किसी को भी केवल शोशेबाजी पर वोट नहीं मिलेंगे. वोट के लिए जमीन पर काम करना होगा. यही वजह है कि इस चुनाव में मतदाताओं ने लगभग सभी पार्टियों को नकार दिया है. उनकी जगह पर मतदाताओं ने निर्दलीय प्रत्याशियों को तरजीह दी है.
लगातार दो बार से हरियाणा में बीजेपी की सरकार है. इस चुनाव में बीजेपी ने अपने सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की जीत के लिए पूरी ताकत लगा दी. खुद मुख्यमंत्री तक चुनाव प्रचार करते नजर आए. लेकिन जब परिणाम आया तो पता चला कि बीजेपी महज 21 फीसदी सीटों में सिमट कर रह गई. 102 में से बीजेपी को कुल 22 वार्डों में जीत मिली है. इसमें भी पंचकुला और सिरसा में पार्टी का सुपड़ा साफ हो गया.
इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कुल 114 उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से 100 उम्मीदवारों को मुंह की खानी पड़ी है. जो 14 प्रत्याशी जीते भी हैं तो वह पंजाब से लगते इलाकों से ताल्लुक रखते हैं. जबकि इनेलो को कुल 13 सीटें ही मिली हैं. यह स्थिति उस समय है जब खुद पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो के मुखिया ओमप्रकाश चौटाला बिसात बिछा कर बैठे थे. बावजूद इसके इनेलो सिरसा में ही सिमट कर रह गई. हालांकि इस पार्टी के यमुना नगर और पानीपत में एक एक उम्मीदवार जीत गए हैं.
कांग्रेस का 39 प्रत्याशियों के जीत का दावा
इस चुनाव में कांग्रेस सिंबल पर मैदान में नहीं उतरी थी, लेकिन परिणाम आने के बाद दावा किया है कि कांग्रेस समर्थित 39 प्रत्याशी जीत किए हैं. बताया जा रहा है कि इस चुनाव में कांग्रेस के भीतर का अंतरकलह काफी असरकारक रहा. यदि यह अंतरकलह नहीं होता तो इस चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी.