करेला, लौकी, कद्दू सहित अन्य नगदी फसल से अब तक 1 लाख 50 हजार की हुई कमाई

करेला, लौकी, कद्दू सहित अन्य नगदी फसल से अब तक 1 लाख 50 हजार की हुई कमाई

रायपुर – राज्य के किसान अब कृषि के क्षेत्र में नई-नई पद्धतियों का इस्तेमाल करने लगे हैं। नए तरीके से की गई खेती किसानों को काफी मुनाफा भी दे रही है। इसे देखते हुए सरकार भी अब किसानों को नए तरीकों से खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। श्री धनीराम के खेतों में करेला, लौकी, कद्दू सहित अन्य फसल हो रही हैं। मल्चिंग खेती, ड्रिप सिंचाई और समुचित देखभाल से नगदी फसलों की अच्छी कीमत मिल रही है। उन्होंने अब तक करेला एवं लौकी विक्रय कर लगभग 1 लाख 50 हजार रुपये की राशि अर्जित कर चुके है।

दंतेवाड़ा जिले के ग्राम घोटपाल के रहने वाले धनीराम यादव आधुनिक पद्धति से खेती कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने कुछ अलग हटकर करने की कोशिश की, परंपरागत खेती को छोड़कर नए तरीके अपनाए और उसमें सफल भी हुए। धनीराम ने मल्चिंग सह ड्रिप तकनीक से सब्जियों की खेती कर बढ़िया मुनाफा कमाया और प्रगतिशील किसानों की लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाया। पहले रासायनिक खाद का उपयोग कर परंपरागत फसलों की खेती करते थे, जिससे कम फायदा होता था। इसको देख धनीराम को लगा कि क्यों न कुछ नया अपनाया जाए। इसी के बाद शुरू हुई धनीराम की आधुनिक पद्धति से खेती की कहानी।

उन्होंने अपने स्वयं की भूमि पर उद्यानिकी विभाग से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण नीति के माध्यम से अनुदान प्राप्त कर मल्चिंग सीट स्थापित किया है। मल्चिंग विधि को अपना कर नयी तकनीक से खेती शुरू की। लगभग 1 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा के अनुरूप ड्रिप स्थापना कर उच्च तकनीक से उद्यानिकी फसल की खेती कर रहें है। धनीराम यादव का कहना है कि मल्चिंग एवं ड्रिप स्थापना से समय और मेहनत कम लग रहा है। इस तकनीक और पैदावार को देख कर आस पास के किसान भी काफी प्रभावित हुए। मल्चिंग सीट, ड्रिप स्थापना एवं सब्जी उत्पादन के लिए कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों के हौसले को उड़ान देने पूरी तरह से सहयोग किया जा रहा है। कृषक उद्यानिकी फसल उत्पादन कर काफी खुश है और उनकी जीवन शैली में बदलाव भी हुआ है। नयी तकनीक और नयी सोच के साथ खेती की शुरुआत करके श्री धनीराम यादव आज दूसरों के लिए मिसाल बन गये हैं।

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