हिंसा प्रभावित मणिपुर में राहत कार्यों, पुनर्वास, मुआवजे जैसे कामों की निगरानी के लिए बनी तीन सदस्यीय समिति ने सुप्रीम कोर्ट को तीन रिपोर्टें सौंपी हैं.
समिति की अध्यक्षता जम्मू-कश्मीर की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल कर रही हैं. उनके साथ जस्टिस शालिनी फणसलकर जोशी और जस्टिस आशा मेनन भी शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि समिति के कामकाज को सुविधाजनक बनाने के लिए 25 अगस्त को आदेश पारित करेगा.
सुनवाई के दौरान समिति ने कोर्ट को बताया कि मणिपुर हिंसा के कई पीड़ितों के ज़रूरी दस्तावेजों को फिर से बनाए जाने की ज़रूरत है. कई पीड़ितों ने अपने आधार कार्ड, राशन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे कागजात खो दिए हैं.
पैनल ने कहा कि पीड़ितों को खोए हुए दस्तावेज वापस दिलाने में मदद करने के लिए एक नोडल अधिकारी को नियुक्त करने की ज़रूरत है और पीड़ितों के लिए मुआवजे के नियम एनएएलएसए के तहत बनाए जाने चाहिए.
समिति ने इस काम में और विशेषज्ञों को शामिल करने की मांग भी की है.
समिति ने इन मुद्दों को सामने रखते हुए कोर्ट से दिशा-निर्देश की मांग की है जिस पर कोर्ट ने 25 अगस्त की तारीख़ तय की है.