विगत कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में गौवंश की स्थिति बहुत दुखदायक हो चुकी है, हमारे अनुभव और अनुसंधान के अनुसार केवल राजधानी और आसपास के 30 किलोमीटर के क्षेत्र में रोजाना 100 से ज्यादा गौवंशों की जान जा रही है।
जिनके विभिन्न कारण है इसमें से 2 प्रमख कारण है पाये गये हैं।
- एक्सीडेंट एवं
- प्लास्टिक खा जाने के कारण.
यह न्यूनतम आंकड़े हैं जो हम तक पहुंचते हैं असली आंकड़े इसे कहीं अधिक और चौंकाने वाले हो सकते हैं हम में से प्रत्येक गौसेवक अपना शत प्रतिशत प्रयास करने के बाद भी, जा रहे जानों को नियंत्रित नहीं कर पा रहे । छत्तीसगढ़ के गौवंशो के लिए सरकार योजनाएं तो बना रही परंतु न जाने क्यों वह योजनायें गौवंशों तक पहुंच नहीं पा रही ।
शिविर का उद्देश्य संवेदनशीलता से जरूकता तक
हमारे प्रदेश में मानवता की कमी नहीं लोग फोन करके गौवंशो की जानकारी देते
हैं। प्रतीक्षा भी करते हैं। परंतु जानकारी के अभाव के कारण स्वतः प्राथमिक उपचार नहीं
कर पाते एवं कोई ऐहतियात नहीं बरत पाते। शिविर में गौवंशों के प्राथमिक उपचार के साथ साथ कुछ ऐसी सावधानियां भी बताई जाएंगी जो हमें नहीं करना चाहिए। जैसे कि – “तत्काल पानी नहीं पिलाना चाहिए, एक्सीडेंट के तुरंत बाद” जिसकी जानकारी प्रत्येक संवेदनशील एनिमल लवर को होनी पूर्णतः अनिवार्य है। यह शिविर माधव सेना एवं मैया सेवा संस्थानों द्वारा आयोजित किया जा रहा हैं।