यूरोप की यात्रा पर गए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भारत- इंडिया नाम पर हो रही चर्चा, अल्पसंख्यकों और लोकतंत्र पर बात की है.
राहुल गांधी ने रविवार को एक वीडियो साझा किया, जिसमें वो पेरिस के साइंसेज़ पीओ यूनिवर्सिटी में छात्रों से बात करते दिख रहे हैं.
भारत के नाम बदलने की चर्चाओं को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि जो लोग ‘नाम बदलना चाहते हैं वो इतिहास को नकारना चाहते हैं.’
राहुल गांधी ने कहा, “संविधान में दोनों नाम हैं. इंडिया और भारत दोनों ही शब्द स्वीकार्य हैं. हो सकता है जब हमने अपने गठबंधन का नाम इंडिया के नाम पर रखा तो सरकार थोड़ा चिढ़ी हो और अब देश का नाम बदलने का फैसला किया हो. आप समझ सकते हैं कि चीजें कैसे चल रही हैं.”
गांधी ने कहा, “हम अपने गठबंधन का हमेशा कोई न कोई नाम देते हैं. लेकिन इससे कोई मकसद हल नहीं होता, लेकिन लोग अजीब तरीके से प्रतिक्रिया देते हैं. चीजें तो दिख रही हैं उससे कहीं गहरी बात है.”
राहुल गांधी ने कहा, “संविधान में भारत को ‘इंडिया’ यानी भारत राज्यों का यूनियन है’ के रूप में परिभाषित किया गया है. इन राज्यों के लोगों की आवाज़ सुननी होगी और किसी भी आवाज़ को दबाने या डराने की ज़रूरत नहीं है. और संस्थाएं और ढांचा इस आवाज़ की रक्षा करता है उसे बचाना और उसे सुरक्षित रखना सबसे अहम बात है.”
उन्होंने कहा, “मैंने गीता, उपनिषद् और हिंदू धर्म के कई ग्रंथ पढ़े हैं लेकिन बीजेपी जो कुछ कर रही है, उसमें हिंदू जैसा कुछ नहीं है.
उन्होंने कहा, “मैंने गीता, उपनिषद् और हिंदू धर्म के कई ग्रंथ पढ़े हैं लेकिन बीजेपी जो कुछ कर रही है, उसमें हिंदू जैसा कुछ नहीं है.”
राहुल गांधी ने कहा, ‘’जब हम लोकतंत्र शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो असल में हम आम आदमी की आवाज़ के बारे में बात कर रहे होते हैं. जैसा हमारे महान नेता महात्मा गांधी ने कहा था कि सबसे महत्वपूर्ण आवाज़ पंक्ति में अंतिम खड़े व्यक्ति की होती है.”