*दर्शन दुर्लभ, प्रत्याशी खेतों में चला रहे हंसिया*
चुनावी शोरगुल के साथ गांव की गलियां अब झंडा बैनर से अट गए हैं। राष्ट्रीय राजनैतिक दल से जुड़े प्रत्याशियों में जीत के लिए पुरजोर कोशिशें देखी जा रही है। इन दिनों खेतों में धान की बालियां पकने के कगार में आ चुकी है। ऐन चुनावी वक्त में फसल कटाई किसानों के लिए समस्या का सबब साबित हो रहा है।
फसल कटाई के लिए गांव में मजदूर नहीं मिल रहे हैं। चुनाव प्रचार प्रसार में तेजी आने लगी है। ऐसे में प्रत्याशी अथवा समर्थकों के साथ घर-घर प्रचार में शामिल होने के लिए भीड़ की आवश्यकता हो रही है। धान कटाई के एवज में 200 रूपये दिहाड़ी मजदूरी है वहीं भीड़ में शामिल होकर दिन भर प्रचार के लिए प्रति 250 रूपये दिया जा रहा है। ऐसे में मजदूर चुनावी प्रचार में जाना उचित समझ रहे हैं।
और वही मतदाताओं के दर्शन दुर्लभ, प्रत्याशी खेतों में चला रहे हंसिया
धान कटाई और त्योहारी सीजन में चुनाव प्रचार प्रत्याशियों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है। गांवों में मतदाता मिल ही नहीं रहे हैं। प्रत्याशी व उनके समर्थकों को खेतों तक सफर करना पड़ रहा है और इस सीजन का फायदा उठाने में कोई नहीं चूक रहे हैं। कोई प्रत्याशी हंसिया लेकर धान काटने का उपक्रम करते हैं तो कोई बीड़ा उठाने का। कोई मजदूर से चर्चा कर स्वयं को किसान व उनके संतान बता रहे हैं, ताकि मतदाता उनसे प्रभावित हो सके। मतदान के लिए दो दिन शेष विधानसभा चुनाव में दिलचस्प परिस्थिति बन रही है।