नक्सलियों का पाताललोक ,इस सुरंग में 100 नक्सली आराम से छुप सकते हैं..

नक्सलियों का पाताललोक ,इस सुरंग में 100 नक्सली आराम से छुप सकते हैं..

नक्सल प्रभावित बीजापुर में सुरक्षा बल के जवान लगातार ऑपरेशन कर रहे हैं। ऑपरेशन से लौटने के दौरान नक्सलियों के पाताललोक के बारे में पता चला है, जिसे देखकर आप दंग रह जाएंगे। सुरक्षाबलों को नक्सलियों को 130 फीट लंबी सुरंग के बारे में पता चला है। इस सुरंग में 100 नक्सली आराम से छुप सकते हैं। यहां नक्सली छुप सकते हैं बल्कि गोला-बारूद का भी भंडारण कर सकते हैं। बस्तर के इलाके में बीते 20 सालों से नक्सलियों के साथ संघर्ष चल रहा है लेकिन पहली बार ऐसी सुरंग मिली है। यह नक्सल विरोधी अभियानों के लिए नई चुनौतियां खड़ी करती हैं।

वहीं, पुलिस ने इलाके में अन्य सुरंग की तलाश के लिए एक खोजी अभियान शुरू किया है। 10-12 फीट भूमिगत इस सुरंग को तड़पोट गांव के पास जिला रिजर्व गार्ड के जवानों ने खोज निकाला है। सुरंग की दीवारें पक्की मिट्टी से बनी हैं, जिसमें धूप और हवा के लिए जगह है। हालांकि सुरंग हाल ही में बनाई गई प्रतीत होती है लेकिन इसका उद्देश्य और उपयोग अभी भी स्पष्ट नहीं है।

सीआरपीएफ, डीआरजी और बस्तर फाइटर्स की संयुक्त टीम ने इंद्रावती एरिया कमेटी के माओवादी कमांडर मल्लेश को पकड़ने के मिशन पर सुरंग की खोज की। हालांकि उन्हें उस स्थान पर कोई माओवादी नहीं मिला, लेकिन उन्होंने तीन शिविरों और कुछ माओवादी स्मारकों को नष्ट कर दिया। वापस बेस की ओर जाते समय, डीआरजी के जवानों ने जंगल के फर्श पर एक संदिग्ध पैच देखा, जो सुरंग का प्रवेश द्वार निकला।

सीआरपीएफ, डीआरजी और बस्तर फाइटर्स की संयुक्त टीम दंतेवाड़ा के एक कैंप से इंद्रावती एरिया कमेटी के माओवादी कमांडर मल्लेश को पकड़ने के लिए निकली थी। मुखबिर से मिले सूचना के आधार पर जब जवान पहुंचे तो उन्हें तीन नक्सली शिविर मिले लेकिन वहां कोई नहीं था।

एसपी ने कहा, जवानों ने शिविरों और कुछ माओवादी स्मारकों को नष्ट कर दिया। इसके बाद हम कैंप लौट रहे थे। इस दौरान डीआरजी के जवानों ने देखा कि जंगल के फर्श का एक छोटा सा हिस्सा क्षेत्र की प्राकृतिक सेटिंग से अलग दिख रहा है। उन्हें संदेह हुआ कि उस पैच के नीचे कुछ छिपा हुआ है और उन्होंने खुदाई शुरू कर दी। उन्हें मिट्टी और लकड़ी की एक ‘चटाई’ मिली। यहां एक अस्थायी जाल और दरवाजा निकला जो कि सुरंग का प्रवेश द्वार था। जवान हथियार लेकर सुरंग में घुसे लेकिन सुरंग खाली मिली।

सुरंग में नहीं मिला कोई

वहीं, पुलिस की टीम वहां पहुंची तो सुरंग खाली थी। यह माना जाता है कि माओवादी सुरक्षा बलों से बचने के लिए ऐसे सुरंगों का उपयोग गुप्त ठिकानों के रूप में कर रहे होंगे। दंतेवाड़ा और बीजापुर से समान दूरी पर बना सुरंग नक्सलियों ने एक रणनीति के तहत तैयार की होगी। यह भैरमगढ़ पुलिस स्टेशन के नजदीक है। साथ यहां नक्सली इंद्रावती नदी को आसानी से पार कर सकते हैं।

आसमान से नहीं दिखेंगे नक्सली

दरअसल, नक्सलियों के गढ़ में सुरक्षा बल के जवान आसमान से भी उन पर नजर रखते हैं। शायद नक्सलियों ने हवाई निगरानी से बचने के लिए यह सुरंग बनाई होगी। जवानों को एक नक्सली कैंप में छापेमारी के दौरान कुछ दस्तावेज मिले थे, उसमें इस बदलाव के संकेत मिले थे। दस्तावेज में मुठभेड़ों और हवाई हमलों के दौरान माओवादियों की सुरक्षा के लिए सुरंगों के निर्माण का जिक्र किया गया था, हालांकि पुलिस ने किसी भी हवाई बमबारी से इनकार किया है।

छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने नक्सलवाद का मुकाबला पूरी ताकत से करने और अभियानों को तेज करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।

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