कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने यूपी में मुज़फ़्फ़रनगर में कांवड़ रूट पर खान-पान की दुकानों पर नाम लिखने को लेकर जारी निर्देश को वापस लेने की मांग की है.
उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “हमारा संविधान हर नागरिक को गारंटी देता है कि उसके साथ जाति, धर्म, भाषा या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं होगा.”
“उत्तर प्रदेश में ठेलों, खोमचों और दुकानों पर उनके मालिकों के नाम का बोर्ड लगाने का विभाजनकारी आदेश हमारे संविधान, हमारे लोकतंत्र और हमारी साझी विरासत पर हमला है.”
“समाज में जाति और धर्म के आधार पर विभाजन पैदा करना संविधान के ख़िलाफ़ अपराध है. यह आदेश तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और जिन अधिकारियों ने इसे जारी किया है, उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.”
मुज़फ़्फ़रनगर पुलिस के इस आदेश के बाद गीतकार जावेद अख़्तर ने इसकी तुलना ‘नाज़ी जर्मनी’ से की थी.
जबकि बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने इसे छुआछूत से जोड़ा है.
इस बीच केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि सरकार के आदेश का पालन होना चाहिए.
लेकिन केंद्र में बीजीपी की सहयोगी पार्टियां जेडीयू और लोजपा (रामविलास) भी असहज है.
चिराग पासवान ने कहा कि वो इस फरमान का समर्थन नहीं करते.
कांग्रेस और यूपी के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों अखिलेश यादव और मायावती ने भी आपत्ति ज़ाहिर की है.