16 जून 2013 केदारनाथ, 16 अगस्त 2018 केरल और 29 जुलाई 2024 वायनाड की हादसे के कई वर्षो पूर्व गाडगिल कमेटी, डॉ कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन कमेटी के सिफारिशों को सरकारें मान लेती तो शायद हमारे देशवासी अकाल मौत नही मरते ?
सोमवार – मंगलवार की दरम्यानी रात के भूस्खलन के सैलाबी कहर के बाद भारत मौसम विज्ञान विभाग ( India Meteorological Department ) ने 30 जुलाई 2024 के लिए रेड अलर्ट जारी किया !
इस हृदयविदारक भूस्खलन, सबकुछ खत्म कर देने वाली जानलेवा सैलाब से 1 नवम्बर 1980 को केरल के 12वें जिले के तौर पर अस्तित्व में आयीं, वायनाड के चार गांव मुंडक्कई, चुरलमला, अट्टामला और नूलपुड़ा की 22 हजार आबादी के सैकड़ों आशियाने देखते – देखते मलबे और मांस के लोथड़ो में तब्दील हो गये। एनडीटीवी के पत्रकार टी राघवन मलबों के ढ़ेर में घूम रहे थे तो उन्हें एक पोस्टकार्ड साईज की एक तस्वीर हाथ लगी जिसमें दो बच्चे एक – दूसरे का कंधा पकड़कर मुस्कुरा रहे थे, शायद ये बच्चे सिर्फ़ तस्वीर में ही मुस्कुरा रहे हैं।
जिस दिन आईएमडी ने 1:10 मिनट पर एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अलर्ट जारी किया उसी दिन 30 जुलाई 2024 मंगलवार को लोकसभा में बजट सत्र के दौरान गृहमंत्री अमितशाह ने सफाई दिया कि हमारी सरकार ने 23 जुलाई 2024 वायनाड के हालातों पर राज्य सरकार के लिए चेतावनी जारी कर दिया था। सरकार और इनके नुमाइंदे अब तो बतौर दुखद प्रतिक्रिया टाईप्ड कराकर सुरक्षित रख लिया है, केवल स्थान और नाम में आंशिक परिवर्तन कर जारी कर देते हैं।
चलिए मान लेते हैं घटना के बाद ही सही आपने अलर्ट जारी करवा दिया। राज्यों के संघीय ढांचे के अधीन क्या केन्द्र सरकार की इतनी जिम्मेदारी बनती है। सरकारें कोई भी हो किसी भी दल की हो दावा तो करती है सूझबूझ और दूरदृष्टि से लैस होने का फिर कैसे राजधानी दिल्ली के पुराने राजेन्द्रनगर के बेसमेंट में पानी घूसने से तान्या सोनी, श्रेया यादव और नेविन डालविन के अकाल मौत के ज़ख्म अभी हरे ही हैं, इसकी परवाह किए बगैर उनके सहपाठी जानलेवा बारिश के बावजूद वी वांट जस्टिस का नारा बुलंद कर रहे हैं।
कांग्रेस सरकार की बिदाई बेला 16 जून 2013 को रूद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ के भूस्खलन के बाद सैलाब ने मानव समाज पर कहर बरपाया था।
16 अगस्त 2018 को केरल में जब विकराल बाढ़ ने कहर ढाया था 483 बेकसूर लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। इन मासूमों के बहे लहू चीख – चीखकर कह रहे थे कि गाडगिल कमेटी, डॉ कृष्णा स्वामी कस्तूरीरंगन के सिफारिशों को यदि सरकारें मान लेती तो शायद यह भयावह स्थिति निर्मित नही होती।
इस दुःख की घड़ी में हम कोई राजनीतिक नही कर रहे और जनता क्या राजनीति करेगी लेकिन यह जनप्रश्न सरकार के सामने हमेशा खड़ी होती रहेगी 12 हजार करोड़ खर्च करने के बाद भी नये संसदभवन में पानी प्रवेश कर गया ?