भाग-दौड़ भरी जिंदगी में देर रात तक मोबाइल, लैपटॉप पर काम करने की आदत चैन की नींद छीन रही है। इसके कारण याददाश्त तक कमजोर होने लगी है। इसका सीधा असर व्यक्ति के व्यवहार में भी दिख रहा है। जल्द गुस्सा आना, अचानक व्यवहार बदल जाना इसके प्रमुख लक्षण मिल रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि नींद शरीर के लिए संजीवनी का काम करती है। एक सामान्य व्यक्ति को रात में 7 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए, जिस समय शरीर सो रहा होता है उस समय शरीर और मस्तिष्क रिचार्ज होता है। सोते समय मस्तिष्क में ऐसे रसायन उत्पन्न होते हैं, जिनकी मदद से हमारी याददाश्त और गहरी होती है। लेकिन इस भाग दौड़ की भरी जिंदगी में लोग नींद कम ले रहे हैं जिससे उनके मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर मंजरी त्रिपाठी का कहना है कि पिछले कुछ समय से मोबाइल, लैपटॉप की सफेद रोशनी के कारण लोगों की नींद खराब होने शिकायतें बड़ी हैं। एम्स में आने वाले मरीजों में ऐसे लोगों की संख्या काफी अधिक है। ज्यादातर लोग इससे पीड़ित मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि उचित नींद लेने से शरीर और मस्तिष्क रिचार्ज होता है।
नींद के दौरान हमारे मस्तिष्क से टॉक्सिक बाहर निकलते हैं। अगर मस्तिष्क से टॉक्सिक बाहर नहीं निकलेंगे तो डिमेंशिया होने की आशंका बढ़ जाएगी। सामान्य तौर पर उम्र बढ़ाने के साथ डिमेंशिया या भूलने की समस्या बढ़ती है, लेकिन देर रात तक मोबाइल देखने की आदत से कम उम्र में ही ऐसी समस्याएं होने लगी हैं।
नींद न आने की समस्या है इन्सोम्निया
रात में नींद न आने की बड़ी समस्या इन्सोम्निया रोग है। इसके कई प्रकार हो सकते हैं। ऐसी समस्याओं के लिए खराब नींद की आदत, अवसाद, चिंता, व्यायाम की कमी, पुरानी बीमारी या कुछ दवा हो सकती है। इसमें नींद आने या अच्छी तरह सोने में दिक्कत होती है। इस वजह से आराम की कमी महसूस होती रहती है।