छत्तीसगढ़ कांग्रेस में राष्ट्रीय अधिवेशन के पहले छिड़ी कलह का इलाज करने की बजाय भाजपा को इंजेक्शन लगाया जा रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निशाने पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह हैं जबकि राजनीति में अभी वक्त का तकाजा है कि पहले घरेलू उपचार किया जाए।
निशाना साधना है तो आक्रामकता के साथ भूपेश बघेल के खिलाफ मोर्चा संभाल रहे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव पर साधा जाए। वैसे भूपेश बघेल राजनीति में पारंगत है। उन्हें पता है कि कब, कहां, कैसे, क्या करना है। सम्भव है कि वे मुकाबले में डॉ. रमन को ही मान रहे हों। भूपेश बघेल बहुत दूरदर्शी राजनीतिज्ञ हैं। सीधे लक्ष्य पर नजर रखते हैं। वे मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, बाकियों को पीछे छोड़ कर मुख्यमंत्री बन गए। 5 साल मुख्यमंत्री बने रहना चाहते थे। कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि वे 5 साल पूरे करेंगे। वे अगली पारी भी खेलना चाहते हैं। कांग्रेस के भीतर उनकी राह में अब कोई कांटा नहीं है। अब केवल वे ही वे हैं लेकिन अब जो मुख्यमंत्री की कुर्सी दौड़ में नहीं हैं, वे भूपेश बघेल के साथ होंगे, नहीं कहा जा सकता। कांग्रेस भारी भरकम बहुमत के साथ सत्ता में है। सरकार मजबूत है किंतु भाजपा के संगठन के मुकाबले कांग्रेस अब कितनी मजबूत है, इसका आकलन कांग्रेस और मुख्यमंत्री के विचार का विषय है।वैसे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच आपसी विवाद की खबरे भी राजनैतिक गलियारों में सुनाई देती है।
बात मुख्यमंत्री की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री पर निशानेबाजी की चल रही थी तो पूर्व मुख्यमंत्री सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं और मुख्यमंत्री उन्हीं को चुनौती देने, जवाब देने में व्यस्त हैं। हाल के तमाम राजनीतिक घटनाक्रम बता रहे हैं कि जुबानी जंग मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच केंद्रित है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बस्तर में भाजपा नेताओं की हत्या के बाद आरोप लगाया कि भाजपा के नेताओं की सुरक्षा कम कर दी गई है। इस पर मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि बस्तर में कांग्रेसियों से ज्यादा भाजपा नेताओं को सुरक्षा दी गई है। उनका यह भी कहना है कि चर्च मामले में पूर्व मुख्यमंत्री उनकी चुनौती पर चुप्पी साध गए। वह पूर्व मुख्यमंत्री को बस्तर में सुरक्षा पर आंकड़े बताने की चुनौती दे रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा में यह षड्यंत्रकारी लोग हैं। नई नई शब्दावली का प्रयोग कर गुमराह करते हैं। अगर उन्हें लगता है कि टारगेट किलिंग है तो जांच करा लें। इनको तो राजनीति करना और राजनीतिक लाभ लेना है। इसलिए चक्का जाम कर लोगों को परेशान कर रहे हैं। आंदोलन करना था तो कलेक्ट्रेट घेराव कर लेते।
मुख्यमंत्री विश्व हिंदू परिषद की धार्मिक यात्रा के संदर्भ में कह रहे हैं कि इनके सारे हथियार विफल हो गए। केंद्र में उनकी पूर्ण बहुमत की सरकार है। हिंदू राष्ट्र बनाना है तो दिल्ली में 7 लोक कल्याण मार्ग में धरना दें। मुख्यमंत्री झीरम हमले को याद करते हुए कह रहे हैं कि इनके ही लोग जांच रोकने कोर्ट से स्टे ले आए। नान और झीरम दोनों मामलों में पीआईएल लगा दी। रमन सिंह लगातार जांच को प्रभावित कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्ज को लेकर मुख्यमंत्री का कहना है कि हम पर लोन ज्यादा लेने की बात करते हैं अपने भाजपा शासित उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश को देख लें। कितना लोन लिया और हमने कितना लिया। उनका कहना है कि रमन सिंह समझ लें कि वित्तीय प्रबंधन सिर्फ वे ही नहीं बल्कि एक किसान का बेटा कर सकता है। वैसे भाजपा लगातार बताती रही है कि भूपेश बघेल सरकार ने कितना कर्ज लिया है और यह भी बताती है कि केंद्र सरकार ने यूपीए सरकार के मुकाबले छत्तीसगढ़ को 5 गुनी रकम दी है।
बहरहाल, सवाल यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री को चुनौती देने वाले मुख्यमंत्री कांग्रेस की आंतरिक कलह से संभावित नुकसान की चुनौती की तरफ कब देखेंगे। समय रहते इसका इलाज कर लें तो फायदे में रहेंगे। प्रतिद्वंद्वी सामने होता है। मुकाबला कर सकते हैं लेकिन पीछे से कुछ हो तो दिक्कत होती है।