केंद्र सरकार ने एक हलफ़नामे में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिका का विरोध किया है.
केंद्र सरकार ने अपने हलफ़नामे में कहा है कि समलैंगिक लोगों के एक साथ रहने की तुलना भारतीय परिवार से नहीं की जा सकती है.
भारत में समलैंगिकता अब अपराध नहीं है.
कई याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि समलैंगिक शादी को क़ानूनी मान्यता दी जाए.
केंद्र सरकार ने अपने हलफ़नामे में कहा है कि समलैंगिक शादियों को क़ानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं को रद्द किया जाए क्योंकि इन याचिकाओं का कोई औचित्य नहीं है.
सरकार का कहना है कि समलैंगिक संबंध और विपरीत लैंगिक संबंधों स्पष्ट रूप से अलग-अलग तरह के संबंध हैं और इन्हें एक जैसे नहीं देखा जा सकता है.
सरकार ने अपने हलफ़नामे में कहा है कि धारा 377 को निरस्त किए जाने के बावजूद, याचिकाकर्ता भारतीय क़ानून के तहत समलैंगिक शादियों को मान्यता देने का दावा नहीं कर सकते हैं.