ईरान के कब्ज़े में लिए मालवाहक जहाज के क्रू की सदस्य एंटेसा जोसेफ़ ने स्वदेश वापसी के बाद अपना अनुभव साझा किया है.

ईरान के कब्ज़े में लिए मालवाहक जहाज के क्रू की सदस्य एंटेसा जोसेफ़ ने स्वदेश वापसी के बाद अपना अनुभव साझा किया है.

उन्होंने मिडिया को बताया, “ईरानी सुरक्षा बलों ने एमएससी एरीज़ के क्रू से कहा था कि उनका हमें नुक़सान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है.”

एंटेसा जोसेफ़ ईरानी कब्ज़े वाले व्यापारिक जहाज एमएससी एरीज़ के 25 सदस्यों वाले इंटरनेशनल क्रू की एकमात्र ऐसी सदस्य हैं जिन्हें छोड़ा गया है. वे कल शाम भारत वापस लौट आई हैं.

एंटेसा ने कोट्टायम में अपने घर पहुंचने के बाद मिडिया से बात की. उन्होंने बताया, “सब कुछ अचानक हुआ. कल उन्होंने कहा कि अपना सामान पैक कर लो और मुझे एक नाव पर बिठा दिया था और फिर उसके बाद भारत जाने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ान में बिठा दिया गया.”

21 वर्षीय एंटेसा जिस मालवाहक जहाज़ पर तैनात थीं, वो मुंबई आ रहा था. लेकिन शनिवार को जब जहाज अबु धाबी के पास पहुँचा तो हेलिकॉप्टर के ज़रिए ईरानी सिक्योरिटी फ़ोर्सज़ शिप पर उतरे.

ये मालवाहक जहाज़ ज़ोडिएक मैरिटाइम नामक कंपनी का है जिसके मालिक इसराइल अरबपति एयाल ओफ़ेर हैं. इसे एमएससी एरीज़ नाम की कंपनी ने लीज़ पर ले रखा है.

जहाज़ पर मौजूद 25 क्रू सदस्यों में से 17 भारतीय हैं. केरल से चार लोग इस जहाज़ पर हैं. इन्हीं में एक एंटेसा थीं.

एंटेसा ने ये भी बताया, “हो सकता है कि मुझे महिला समझ कर छोड़ दिया गया हो. ईरान के क़रीब 20 सुरक्षाकर्मी शिप पर आए. उस वक्त मैं वहां नहीं थी.”

“मुझे तो तभी पता चला जब सबसे शिप के ब्रिज पर जमा होने को कहा गया. सुरक्षाकर्मी शिप के कप्तान से बात कर रहे थे. उन्होंने साफ़ कह दिया था कि उनकी मंशा किसी को नुकसान पहुँचाने की नहीं है.”

एंटेसा को नौ महीने पहले एमएससी ने नौकरी पर रखा था. एंटेसा ने कोच्चि की इंडियन मैरिटाइम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. एमएससी एरीज़ पर वे एकमात्र महिला कर्मचारी थीं.

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