मोदी सरकार में यह मुमकीन ही नही है, एक राष्ट्र एक चुनाव बल्कि लगभग नामुमकीन है।
*शेख अन्सार की कलम से…* यह मेरा मनोभाव, मनोदशा या मन:स्थिति नही है, अपितु संवैधानिक जनित नियमों - प्रावधानों का प्रतिफलन है। यह विश्लेषणपूर्ण निष्कर्ष केवल मेरे ही पास है ऐसा भी नही है, यह…