मई दिवस अमर रहे !काम के घण्टे आठ करो, आन्दोलन की अमेरिका में शुरूआत !!*

मई दिवस अमर रहे !काम के घण्टे आठ करो, आन्दोलन की अमेरिका में शुरूआत !!*

वह संघर्ष जिससे मई दिवस का जन्म हुआ, अमेरिका में 1884 में काम के घण्टे आठ करो, आन्दोलन से शुरू हुआ। अपने संघर्ष के दौरान मज़दूर वर्ग ने बहुत से नायक पैदा किये है। मज़दूर दिवस की कहानी अल्बर्ट पार्सन्स, ऑगस्ट स्पाइस, एडाॅल्फ फिशर, जार्ज एंजिल जो मजदूरों के नायक रहे हैं। मई दिवस शिकागो के उन शहीद मज़दूर नेताओं के स्मरण में मनायीं जाती है, जिन्होने आम मेहनतकश जनता के हक़ों के लिए आवाज उठाने और आठ घण्टे के काम के दिन की मांग को लेकर मेहनतकशों की अगुवाई करने के कारण 11 नवम्बर 1887 को शिकागो में फांसी दे दी गयी।

1884 में अमेरिका से शुरू हुआ काम के घण्टे आठ करो आन्दोलन अपने परवान के साथ पूरे विश्व में फ़ैल रहा था, उसी समय बीएनसी मिल्स उत्पादन के लिए अग्रसर थी। बीएनसी मिल्स के मज़दूरों में भी ऐतिहासिक मई दिवस मनाने की गौरवशाली परम्परा रही है।

बीएनसी मिल्स के, मुर्रा, पोहा, चना जैसे लघु उद्योगों के मजदूर हाथ ठेला के हमाल, रिक्शा चलाने वाले मेहनतकश राजनांदगांव शहर की आधी आबादी हो जाती थी।

आज से लगभग 60 – 65 वर्ष पहले औसत आबादी का शहर हुआ करता था, हमारा शहर राजनांदगांव जिसके चारों दिशाओं में मजदूर यूनियन की दफ्तर हुआ करती थी। उत्तर दिशा की चिखली में बहुत पुरानी नही है, लेकिन प्राचीन सा दिखने वाला नगर निगम के आयुर्वेदिक दवाखाना के बाजू में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस का यूनियन कार्यालय हुआ करता जहां प्रमुख रूप से मजदूर प्रतिनिधि देवराज यादव बैठा करते थे।

शहर के दक्षिण दिशा नंदई के कुआं चौक में भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के मजदूर मोर्चा एटक का कार्यकाल है जहां काॅमरेड बाजीराव शेण्डे और नवजवान काॅमरेड छबीलाल कौशिक मजदूर के समस्या से रूबरू होकर निदान किया करते थे। यह यूनियन ऑफिस संघर्ष के विभिन्न मोर्चा का सामना करने के बाद बदली हुई परिस्थितियों में आज भी वही मौजूद है।

राजनांदगांव का एक मोहल्ला हमालपारा जो शहर के बीचोंबीच स्थित है। हमालपारा के नाम से ही मेहनतकश के पहचान की प्रतिध्वनि निकलती है। हंसिया हथौड़ा वाला यूनियन कार्यालय पूरे नगर के लोगों के जुबान में लाल झण्डा ऑफिस के नाम से रचा – बसा था। यह मकान साजा वाले रमेशचन्द्र जी का था वर्तमान में यह मिल्कियत संगम साड़ी वाले घनश्याम जी की है। इस ऑफिस में आठों काल बारह महीने स्वर्गीय मदन तिवारी बैठा करते थे और यहीं उनका आशियाना था।

शहर के पश्चिम दिशा की आबादी मजदूर बाहुल्य क्षेत्र मोतीपुर – तुलसीपुर की है, जहां वर्तमान में छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से सम्बंध यूनियन राजनांदगांव कपड़ा मजदूर संघ कार्यालय है, जहां मज़दूर नेता प्रेमनारायण वर्मा के अगुवाई में श्रमिक हितों के लिए संचालित होती है। इस ऐतिहासिक कार्यालय के ठीक सामने सड़क के दूसरे किनारे में नेमीचंद जैन का आवास हुआ करता था।‌ जहा आजादी के बाद 1948 में कम्युनिस्ट पार्टी की यूनियन संचालित होती थी। इस यूनियन ऑफिस में काॅमरेड प्रकाश राय जेलरचाल के अपने किराये के मकान से कभी मजदूरों के साथ बतियाते – बतियाते पैदल ही पहुंच जाते थे, या कभी साईकिल चलाते पहुंच जाते थे। इसी यूनियन ऑफिस में निश्चित अवधि के अन्तराल में सलाह – मशविरा के लिए रायपुर से काॅमरेड सुधीर मुकर्जी और काॅमरेड नंदूलाल चोटिया आते थे।

Chhattisgarh Special