मार्कफेड में बोरियों में आता है पैसा ….

मार्कफेड में बोरियों में आता है पैसा ….

मार्कफेड में घपले-घोटाले आज से नहीं सालों से चल रहे हैं। अतीत में कई आईएएस अधिकारी मार्कफेड के एमडी रहते जांच के शिकार हुए। उन्हें विभागीय जांच का सामना करना पड़ा।

ये जरूर है कि एमडी रहे किसी अफसर की गिरफ्तारी पहली बार हुई है। मनोज सोनी की। मार्कफेड के बारे में अधिकांश लोगों पता नहीं होगा कि छत्तीसगढ़ का यह सबसे बड़ा और वह नोट बटोरने वाला बोर्ड है। साल में 50 हजार करोड़ से ज्यादा का कारोबार होता है। इस बोर्ड के दो-एक एमडी को छोड़ दें, तो अधिकांश यहां से 25-50 करोड़ बटोर कर ही निकले।

सीधा सा फंडा है… प्रमोटी आईएएस गिरे हालत में 25 खोखा और डायरेक्ट वाले 40 से 50। ट्रांसपोर्ट महकमे की तरह मार्कफेड में बोरियों में पैसा आता है। ईडी की रिपोर्ट को मानें तो राईस मिलरों के प्रोत्साहन राशि की आधी किस्तों में ही 175 करोड़ का खेला हो गया तो धान खरीदी, बारदाना यानी बोरियो की खरीदी, ट्रांसपोर्टिंग समेत मार्कफेड में ऐसे कई बड़े होल हैं, जहां से बोरियों में पैसे निकलते हैं। कायदे से मार्कफेड का नाम बदलकर मालफेड कर देना चाहिए। याने मार्केटिंग फेडरेशन नहीं, माल फेडरेशन इसका सही नाम होगा।

Chhattisgarh