कारखाना मालिक के लालच की हवस ने बेकसूर मजदूरों का जान लिया !

कारखाना मालिक के लालच की हवस ने बेकसूर मजदूरों का जान लिया !

छत्तीसगढ़ डिस्टलरी कुम्हारी के 15 श्रमिक पत्थर खदान के गहरे गड्ढे में बस सहित गिरने से काल कवलित हो गये !

कुम्हारी की तीन बहनों की जाने गयी।अमूमन कुम्हारी के श्रमिक स्थानीय होने की वजह से बस की सवारी नही करते, मंगलवार की काली रात घर जल्दी पहुंचने के आशय से बस की सवारी किये जो मौत की सवारी में तब्दील हो गई।

15 श्रमिक बुरी तरह ज़ख़्मी है, 10 की हालत बेहद चिंताजनक है !

मृतक मजदूरों को हार्दिक श्रद्धांजली –

1 कौशिल्याबाई निषाद 50 वर्ष कुम्हारी 2 सत्यनिशा 57 वर्ष रामनगर कुम्हारी 3 शान्तिबाई देवांगन 60 वर्ष महामाया चौक कुम्हारी 4 राजूराम ठाकुर मिलनचौक भिलाई 5 भीखूभाई पटेल 58 वर्ष सुपेला भिलाई 6 रामबिहारी यादव शास्त्रीनगर सुपेला 7 कमलेश देशलहरे सड़क 28 सेक्टर 4 भिलाई 8 परमानंद तिवारी चरौदा 9 पुष्पादेवी पटेल 58 वर्ष जोन 3 खुर्सीपार 10 गुरमीत सिंह 11 दीपक पटेल 12 उपेंद्र यादव। त्रिभुवन पाण्डेय, अमीतसिन्हा, कृष्णा के बारे में जानकारी कुम्हारी के हमारे साथी गन्नूपटेला, छगनपाल से नही मिल पाई है।

वास्तव में अमानक सड़क के दायें – बाएं 40 – 50 फीट गहरे मौत की खाई बनी पत्थर खदानें है। जिला प्रशासन और खनिज विभाग*से पूछा जाना चाहिए कि पत्थर खदान किस ठेकेदार को लीज पर दी गई थी। यदि राजनीतिक संरक्षण नही है तो वह कैसे बिना घेरा लगाए छोड़कर जा सकता है। श्रम विभाग इस जिम्मेदारी से कत्तई मुक्त नही हो सकता क्योंकि उसकी लापरवाही से ही ये जाने गई है। श्रम विभाग यदि सजग और चैतन्य होता तो कारखाना अधिनियम 1948 के अधीन 40 वर्ष पुरानी शराब कारखाने में श्रमिकों के आवागमन के लिए सड़क बनवा सकते थे। नैतिक जिम्मेदारी तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की भी बनती है, जो कई वर्षो तक इस क्षेत्र का विधायक के नाते प्रतिनिधित्व किया हैं। बेकसूर मजदूरों के बहे खून से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कैसे बच सकते हैं। सम्पूर्ण देश में लाखों किलोमीटर प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत सड़कें बनाई जा रही है, ऐसा ढिंढोरा तो सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा खूब पीटा जा रहा है, क्या उन्हें दिखाई नही दिया कि जीई रोड से छत्तीसगढ़ डिस्टलरी तक पहुंच मार्ग क्यों नही बनाया गया ? इन बेकसूर मजदूरों के अकाल मौत का मुख्य अभियुक्त नियोजक छत्तीसगढ़ डिस्टलरी कुम्हारी है। हमारे देश के फौजदारी दफाओं के अनुसार शेष विभागों के प्रमुखों को सह – अभियुक्त बनाया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति ने मृतकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित किया है, अफसोस इन महानुभावों ने इन श्रमिकों के जीवनकाल में कुछ न कर सकें। आदरणीय मुख्यमंत्री, आदरणीय प्रधानमंत्री अविलम्ब जिला प्रशासन के माध्यम से मृतक के परिजनों के एक सदस्य को शासकीय सेवा में तत्काल नियोजित करवाएं एवं नियोजक छत्तीसगढ़ डिस्टलरी को निर्देशित करें कि वह प्रत्येक मृतक परिवार को 50 – 50 लाख रूपये की धनराशि मान्य श्रम अधिनियम के अन्तर्गत भुगतान करें।

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