विश्व फेफड़ा दिवस : दिल-दिमाग का मरीज बना सकती है जोर से खर्राटे लेने की आदत, एम्स ने किया अध्ययन

विश्व फेफड़ा दिवस : दिल-दिमाग का मरीज बना सकती है जोर से खर्राटे लेने की आदत, एम्स ने किया अध्ययन

जोर से खर्राटे लेने की आदत दिल-दिमाग का मरीज बना सकती है। देश में तेजी से वयस्क इसकी जकड़ में आ रहे हैं। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (ओएसए) एक सामान्य दीर्घकालिक चिकित्सीय बीमारी है। यह किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकता है, लेकिन बुजुर्ग और अधिक वजन वाले व्यक्तियों में इसके होने का खतरा ज्यादा है। इसमें मरीजों को आमतौर पर नींद के दौरान सांस लेने में रुकावट होती है, जिससे जोर से खर्राटे आने लगते हैं। इसमें नींद के दौरान दम घुटने या हांफने जैसी तकलीफ होने लगती है। यदि लंबे समय तक इसका उपचार नहीं करवाया जाता तो मरीज को आगे चलकर उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, स्ट्रोक और चयापचय संबंधी विकारों का खतरा बढ़ जाता है। इसके बावजूद भारतीयों में इसे लेकर जागरूकता कम है।

देश में इसकी स्थिति को पहचाने के लिए एम्स के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन विभाग ने एक अध्ययन किया। भारतीय वयस्कों में ओएसए की व्यापकता की व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण अध्ययन नाम दिया गया। इसकी मदद से यह पता लगाया गया कि कितने अनुपात में भारतीय वयस्क इस समस्या से पीड़ित हैं। इसमें पिछले दो दशकों में किए गए सात अध्ययनों के परिणामों का विश्लेषण किया गया, जिसमें 35.5 से 47.8 वर्ष की औसत आयु वाले 11,009 व्यक्तियों को शामिल किया गया। अध्ययन से पता चला कि 11 फीसदी भारतीय वयस्क ओएसए से पीड़ित हैं। इनमें से 5 फीसदी वयस्क मध्यम या गंभीर रूप से पीड़ित हैं।
महिलाओं में ओएसए पांच प्रतिशत तक है, जबकि पुरुषों में 13 फीसदी तक पाया गया है। देश में 15-64 वर्ष के आयु वर्ग की आबादी पर परिणामों का विस्तार करने पर यह करीब 10 करोड़ भारतीयों में ओएसए का संकेत देता है जिसमें से करीब साढ़े चार करोड़ मध्यम या गंभीर रूप से पीड़ित हैं।

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